वर्ष 1950 से हो रही रेलवे कॉलनी में बंगला पद्धति से हो रही दुर्गा पूजा, यहां नवरात्रि के पहली तारीख को नहीं होता है कलश स्थापना, रेलवे के अधिकारियों व कर्मचारियों के सहयोग से स्थापित की जाति है माता दुर्गा की प्रतिमा
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार

पश्चिम बंगाल की तरह नवादा रेलवे कॉलनी में महाषष्ठी पर पूजा के साथ माता दुर्गा का पट खुल गया। यहां वर्ष 1950 से बंगला पद्धति से पूजा होते आ रही है। पट खुलते ही श्रद्धालुओं ने माता दुर्गा का दर्शन कर प्रसाद ग्रहण किया।

हालांकि महाषष्ठी के साथ-साथ महासप्तमी भी बुधवार को रहने से अन्य स्थानों पर भी माता का पट शाम होते ही खुल गया। दरअसल रेलवे में बंगला पूजा पद्धति के कारण बंगला तिथि से पट खोला गया है, जिसमें बंगला और हिन्दी दोनों तिथि एक ही दिन पड़ गया है। 74 वर्षों से यहां बंगला पूजा बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता रहा है।

इस पूजा का सम्पूर्ण आयोजन रेलवे के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। बताया जाता है कि उन दिनों रेलवे में एक बंगाली इंजीनियर रहा करते थे, जिन्होने बंगला दुर्गा पूजा का प्रचलन शुरु किया था। उसके बाद से यहां लगातार बंगला विधि से पूजा होने लगी।

समिति के अध्यक्ष चन्द्रिका प्रसाद ने बताया कि पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले से आये दो ब्रह्मण प्रषांतो चटर्जी व रोबिन चटर्जी के द्वारा बंगला विधि से मां दुर्गा का पूजा कर पट खोला गया है। किउल-गया रेलखंड पर शेखपुरा से लेकर वजीरगंज तक सभी स्टेशनों पर प्रसाद वितरण किया जाता है।

गौरतलब हो कि आम तौर पर मां दुर्गा का पट महासप्तमी को खोला जाता है और नौ दिनों तक पाठ किया जाता है, परंतु बंगला पूजा में महाषष्ठी को कलश स्थापना कर पूजा किया जाता है। जिले भर के लोग बंगला विधि से मां दुर्गा की पूजा देखने व दर्शन करने खास तौर से आते हैं।

यहां षष्ठी से लेकर दशमी तक दर्षन को लेकर भीड़ जुटती है। उन्होंने बताया कि षष्ठी को पट खुलने से एक दिन पूर्व पंचमी को गोधन पूजा किया गया है। इसके बाद षष्ठी पर मां का आहवान कर आमंत्रण व अधिवाक पूजा किया गया,

उसके बाद श्रद्धालुओं की दर्शन को लेकर पट खोला गया है। इसमें रेलवे कर्मचारी रणविजय प्रसाद यादव व बालेश्वर यादव पूजा पर बैठे हैं। उन्होंने बताया कि महाष्टमी पर खीर का भोग व नवमी को खिचड़ी का भोग लगा प्रसाद श्रद्धालुओं के बीच वितरण किया जायगा।



Recent Comments