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नवादा में जैन धर्मावलंबियों ने धूम-धाम से ऐसे मनाया महावीर जयंती, शहर में उत्साह पूर्वक निकाला गया भव्य शोभायात्रा, पढ़ें पूरी खबर

णमोकार मंत्र का जाप करते हुए श्रद्धालु शोभायात्रा में हुए शामिल, पंच सिद्धांतों वाली पताकाओं के साथ भगवान महावीर के रथ के आगे-आगे पुरुष और पीछे-पीछे महिलाएं लगा रहे थे जयकारा

Report by Nawada News Xpress

नवादा / सूरज कुमार

नवादा में जैन धर्म के 24वें तिर्थंकर भगवान महावीर की जयंती धूम-धाम से मनायी गई। दिनों भर जैन समाज के लोग उत्साह पूर्वक पूजा-पाठ और उत्सव में जुटे रहे। नवादा के गुणायंजी सिद्ध क्षेत्र सहित नगर के अस्पताल रोड स्थित जैन मंदिर में भव्य पूजा का आयोजन किया गया। इसके साथ ही दोपहर को नगर में गाजे-बाजे के साथ भगवान महावीर का शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें घोड़ा व रथ के साथ पंच सिद्धांतों वाली पताकाओं के साथ हर लोग भक्ति भाव में झूमते नहर आ रहे थे।

जिला मुख्यालय में जैन धर्मावलंबियों ने मंदिर और सिद्ध क्षेत्र में धार्मिक अनुष्ठान करने के उपरांत जीये और जीने दो के उद्घोष के साथ अहिंसा परमो धर्मः का संदेश दिया। भगवान महावीर की जयंती पर प्रभात फेरी से लेकर रथयात्रा तक निकाली गई। तीर्थ स्थलों पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान किया गया। जिला मुख्यालय के गुणायां जी सिद्ध क्षेत्र स्थित दिगंबर और श्वेतांबर जैन मंदिरों में मूर्ति अभिषेक और पूजा का कार्यक्रम किया गया।

अस्पताल रोड स्थित जैन मंदिर से बैल के रथ पर भगवान महावीर की रथयात्रा निकाली गई। जैन धर्मावलंबी पूरे उत्साह के साथ शोभायात्रा में झूमते नजर आ रहे थे। रथयात्रा के आगे-आगे पुरुष और पीछे-पीछे महिलाएं णमोकार मंत्र का जाप करते हुए चल रहे थे। जैनियों ने प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से लेकर 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी को समर्पित अलग-अलग रथ निकाले, जिनपर पंच सिद्धांतों वाले पताकाएं लहरा रही थी।

भ्रमण के दौरान जैनियों ने प्रसाद और मीठे पेय का वितरण भी किया। रथ में भगवान महावीर के जीवनवृत्त को दर्शाया गया था, जिसे देख लोग मोहित हो रहे थे। इस दौरान रथयात्रा के माध्यम से जैन समाज के लोगों ने भगवान महावीर के उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया। भगवान महावीर की रथयात्रा में सबसे आगे घोड़े पर धर्म ध्वज लेकर युवा चल रहे थे।

पांच रंग वाले ध्वज जैन समाज के पंच सिद्धातों का बोध करा रहे थे। अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु के प्रतीक स्वरूप ये ध्वज शांति और सत्य निष्ठा का संदेश दे रहे थे। रथ पर इंद्र-इंद्राणी बैठे थे। गुलाब के फूलों से सुशोभित मंदिरनुमा स्थान पर भगवान महावीर की स्वर्ण प्रतिमा विराजमान थी। दोनों तरफ पीले वस्त्र पहने इंद्र के स्वरूप बनकर युवा चंबर डुला रहे थे। रथ के आगे-आगे युवा जयकारे लगा रहे थे।

रथ के पीछे महिलाएं भजन गाती चल रही थी। नगर भ्रमण के बाद शोभायात्रा अस्पताल रोड स्थित जैन मंदिर में समाप्त हुआ, इसके बाद संध्या में महाआरती का आयोजन किया गया। हालांकि इस दौरान मौसम के बदले मिजाज से शोभायात्रा में थोड़ी परेषानी भी हुई।

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