अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर बुजुर्गों ने कहा नये पीढ़ि के बच्चों को बुजुर्गों की दशा और दिशा समझने की है जरूर
ढलती उम्र में संतान का सहयोग पाने के लिए बुजुर्ग आज भी रहते हैं मोहताज, जो जवान हैं उसे भी बूढ़ा होना होगा, इस कड़वा सत्य को नहीं समझ रहे युवा
वरीय नागरिक संघ में हर दिन बुजुर्गों की लगती है जमघट, संतान के सताये बुजुर्गों को दिलाया जाता है न्याय, गोष्ठि आयोजित कर मन की बातों को बुजुर्गों ने रखकर मिटाया मन का भड़ास
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार


अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस एक परंपरा मात्र रह गया है। हर साल एक अक्टूबर को मनाये जाने वाले इस वृद्ध दिवस पर भले ही लोगों द्वारा बुजुर्गों की मान-सम्मान में बड़ी-बड़ी बातों का पुल बांधने का काम किया जाता हो, लेकिन सच्चाई आज भी किसी से छिपा हुआ नहीं है। कलयुगी संतानों में अपने बुजुर्गों के प्रति संवेदना लगभग समाप्त सी हो गई है। यही वजह है कि आये दिन बुजुर्ग अपने ही संतानों की प्रताड़ना का षिकार हो रहे हैं।

ऐसे में बुजुर्गों ने वरीय नागरिक संघ की स्थापना कर अपनी हक और हुकुक के लिए एक जुट होकर हर दिन अपनी व्यथा से रू-ब-रू होने जुटते हैं और अपनी परेषानियों का साझा कर आत्मा को तसल्ली देते हैं। यह एक बड़ी पहल माना जा रहा है कि उम्र के उस पड़ाव पर अपने ही घर में उपेक्षित होने वाले बुजुर्गों को अधिकार के लिए जुझना पड़ रहा है। मंगलवार को वरीय नागरिक संघ द्वारा नगर भवन में बुजुर्गों की दषा और दिषा पर संगोष्ठि का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरीय नागरिक संघ के जिलाध्यक्ष सेवा निवृत सिविल सर्जन डॉ विमल प्रसाद सिंह ने किया, वहीं मंच संचालन सुरेन्द्र सिंह ने किया।

कार्यक्रम का उद्घाटन सदर एसडीओ अखिलेष कुमार, संघ के राष्ट्रीय महामंत्री रामायण पांडेय तथा जिलाध्यक्ष डॉ विमल प्रसाद सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वल्लित कर किया। स्वागत भाषण देने का काम संघ के जिला उपाध्यक्ष डॉ रामबचन पांडेय ने किया। जिलाध्यक्ष डॉ विमल ने कहा कि वृद्ध होने के बाद इंसान को कई रोगों का सामना करना पड़ता है। चलने फिरने में भी दिक्कत होती है। उन्होंने कहा कि यह एक कड़वा सच है कि इस समाज में जो आज जवान है, उसे कल बूढ़ा भी होना होगा और इस सच से कोई नहीं बच सकता है। इस सच को जानने के बाद भी जब बूढ़े लोगों पर संतानों का अत्याचार होता है तो वैसे लोगों को मनुष्य कहलाने का कोई अधिकार नहीं है।

हर युवा वर्ग को यह समझना चाहिए कि वरिष्ठ नागरिक समाज की अमूल्य विरासत होते हैं, जिन्होंने देश और समाज को बहुत कुछ दिया होता है। उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक अनुभव होता है। प्रो बच्चन पांडेय ने कहा कि आज का युवा वर्ग राष्ट्र को उंचाइयों पर ले जाने के लिए वरिष्ठ नागरिकों के अनुभव से लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि नये पीढ़ि के युवाओं को यह अहसास कराए जाने की ज़रूरत है कि वे हमारे लिए बहुत ख़ास महत्त्व रखते हैं या नहीं। इसके साथ ही हम बुजुर्गों को अपने जीवन की इस अवस्था में अपने बच्चों द्वारा देखभाल करने की एक मात्र चाहत है। उन्होंने कहा कि हम बुजुर्गों को मूल से ज्यादा सूद का मोह होता है, जिसे हम दादा-दादी के रूप में पाते हैं।

बुजुर्ग अपने ही घर में समाजिक प्रताड़ना का हो रहे शिकार
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ के वरीय सदस्य जिले के वारिसलीगंज प्रखंड अन्तर्गत शाहपुर ग्रामीण अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि बुजुर्ग अपने ही घर में सामाजिक प्रताड़ना का षिकार हो रहे हैं। ऐसे में हमें अपने आप को समझना होगा कि हम अपने बच्चों में कैसी संस्कार दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बच्चे पढ़-लिखकर अपने बुजुर्गों के प्रति संवेदनशील होते हैं, लेकिन जिन बच्चों को हम बेहतर षिक्षा के लिए बाहर पाश्चात्य सभ्यता में भेजते हैं, बाद में वही बच्चे पढ़-लिखकर बुजुर्गों का सम्मान करना भूल जाते हैं।

उन्होंनेे कहा कि बुजुर्गों के खड़े होने से ही वर्तमान पीढ़ि सही दिशा की ओर संचालित हो सकती है। उन्होंने बताया कि हर घर में तीन तरह के बुजुर्ग होते हैं, जिसमें एक नौकरी कर रिटायर्ड करने वाले, दूसरा रोजगार कर धन जमा रखने वाले होते हैं, ऐसे लोगों की जीवन किसी तरह कट जाती है, परंतु जो कमाकर अपने बच्चों पर सब कुछ न्योछावर कर देते हैं, उनके हिस्से में ही प्रताड़ना मिलती है, हमें ऐसे बुजुर्गों को बचाना होगा।

उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में बुजुर्गों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार और अन्याय को समाप्त करने के लिए और लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए 14 दिसम्बर 1990 को यह निर्णय लिया कि हर साल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती से एक दिन पूर्व एक अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस के रूप में मनाकर हम बुजुर्गों को उनका सही स्थान दिलाने की कोशिश करेंगे, जिसके बाद आज हम ऐसे अवसर पर जुटते हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार से मिलने वाली लाभ, जो कारोना काल के दौरान वापस लिया गया था, उस लाभ को तत्काल प्रभाव से पुनः लागू करने की मांग की है।

वर्तमान दशा और दिशा पर बुजुर्गों ने सुनाया आप बीती
अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय नवादा के पूर्व प्राचार्य सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि अपने जीवन की 71वें बसंत में आ चुका हूं, जीवन की अनुभूति और अनुभव बहुविचार में सिमित है, जो कुछ मीठा, कुछ कड़वा व कुछ ज्यादा तीखा है। आज के आधुनिक सभ्यता की भागम-भाग में महसूस करता हूं कि अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर समाज के सिरमौर्य यानि बुजुर्ग बहुत हद तक उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। विडम्बना है कि जो समाज का विशुद्ध मार्ग दर्शक हो सकता है उसकी बड़े स्तर पर घर, समाज और शासन में उपेक्षा हो रही है। ऐसे ज्वलंत प्रश्न पर समाज के सभी वर्गों को साकारात्मक सोच के साथ इस वर्ग का अनिवार्य रूप से उचित सम्मान करना चाहिए, ताकि समाज के सम्यक विकास में उनकी लाभप्रद भूमिका का सदुपयोग किया जा सके।