फुलवरिया जलाशय परियोजना के लिये अधिकृत की गई भूमि की राशि का भुगतान नहीं किये जाने पर अदालत ने उठाया यह कदम, वर्ष 1986 से अदालत में चल रहा था मामला
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार


नवादा में व्यवहार न्यायालय के एक अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया, जिससे प्रशासनिक महकमे में कोलाहल मच गया। दरअसल, अदालत के आदेश पर नवादा समाहरणालय एवं अतिथि गृह में इस्तेहार चिपकाया गया है। फुलवरिया जलाशय परियोजना के लिये अधिकृत की गई भूमि की राशि का भुगतान नहीं किये जाने पर अदालत ने यह कदम उठाया है।

प्रथम अवर न्यायाधीश आशीष रंजन के आदेश पर इस्तेहार चिपकाया गया, जिससे जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई है। सरकार के द्वारा 10 लाख 27 हजार 3 सौ 88 रूपये 27 पैसे का भुगतान किया जाना है। अदालत ने भूमि अधिग्रहण करने की तिथि से वर्ष 2015 में केवल एक लाख बीस हजार रूपये 15 फिसदी सूद के साथ भुगतान करने का आदेश दिया था।

परंतु, जिला प्रशासन के द्वारा उक्त राशि का भुगतान नहीं किये जाने पर सूद के कारण मूल राशि 10 लाख रूपये से अधिक पहुंच गया है। यह मामला अदालत में वर्ष 1986 से चल रहा है। जानकारी अनुसार रजौली थाना क्षेत्र के रानिवास गांव की भूमि को फुलवरिया जलाशय के लिये सरकार ने भूमि को अधिग्रहित किया था।

इस योजना अंतर्गत सरकार ने रानिवास गांव निवासी शांति देवी की भूमि को भी अधिग्रहित किया गया था। सरकार ने भूमि का मूल्य केवल 3 हजार 9 सौ 99 रूपये 93 पैसा का ही भुगतान भूस्वामी को किया। सरकार के द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि का कम मूल्य का भुगतान किये जाने पर भूस्वामी ने अदालत में भूमि अधिग्रहण वाद संख्या- 496/86 दायर किया था,

जो सुनवाई उपरांत दिनांक 28/08/15 को आदेश पारित करते हुए एक लाख बीस हजार रूपये 15 फिसदी सूद के साथ भुगतान करने का आदेश दिया था। परंतु, जिला प्रशासन ने उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया, तब भूस्वामी ने अदालत में इजरायल वाद संख्या- 3/22 दायर किया।

जिसके बाद प्रथम अवर न्यायाधीश द्वारा राशि वसूली को लेकर जिला प्रशासन के समाहरणालय एंव अतिथि गृह को कुर्क किये जाने का इस्तेहार निर्गत किया गया। जिसका अनुपालन करते हुए दोनों सरकारी भवन पर ढोल बजाकर इस्तेहर चिपकाया गया है। जिसमें अधिवक्ता रंजीत पटेल भी मौजूद थे।
