रमजान का महीना होता है खास, पाक के साथ इबादत करने से खुश होते हैं अल्लाह
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार
इस्लाम धर्म का पाक महीना रमजान मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद खास होता है। माना जाता है कि इस माह में जन्नत के सभी दरवाजे खुल जाते हैं। इस माह में की गई इबादतों का सवाब अन्य माह से कई गुणा ज्यादा मिलता है।

इस माह का इंतजार बहुत ही शिद्दत के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों को रहता है। इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से हर साल 29 या 30 रोजे ही रखे जाते हैं। ईद का चांद दिखने पर रोजे विदा होते हैं, जिसके अगले दिन ईद का त्योहार मनाया जाता है।

बता दें, रमजान के रोजों की खुशी में ही ईद मनाई जाती है। आमतौर पर रमजान माह की शुरुआत चांद के दीदार होने के साथ शुरु होता है, जिसमें रविवार को चांद का दिदार नहीं होने से सोमवार के बजाय मंगलवार से रमजान शुरू होगा।

रमजान का महीना तीन हिस्सों में बांटा गया है, जिसे अशरा कहते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के पूरे महीने रोजा रखते हैं, इबादत करते हैं, कुरआन पाक का तिलावत कर अल्लाह को राजी करते हैं।

इस्लामिक फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नेजाम खां कल्लू ने बताया कि यह एक ऐसा महीना होता है जब अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वालों की हर एक जायज दुआ को कुबूल करते हैं। इसके साथ ही गुनाह करने वाले बंदो को बख्शीश देते हैं।

ऐसे रखते हैं रोजा
इस पाक माह में रोजेदार रोजा रखने के लिए सूरज निकलने से पहले खाते हैं, जिसे सेहरी कहते हैं। सेहरी के बाद से सूरज ढलने तक भूखे-प्यासे रहते हैं। इसके बाद शाम में सूरज ढलने के बाद मगरीब की आजान होने पर रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं।

नमाज होती है जरुरी
माना जाता है कि बिना नमाज के रखा गया रोजा फाका कहलाता है। यह तभी कबूल होता है जब रोजेदार कसरत से 5 वक्त की नमाज अदा करें। इसके साथ ही बुराइयों से खुद को दूर रखें। रोजा को लेकर बाजार में भी रौनक देखने को मिला। इसको लेकर लोगों ने खरीदारी भी खूब की।

