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तेज रफ्तार का तांडव: वर्ष 2025 में नवादा की सड़कों पर 198 जिंदगियां खत्म, पढ़ें पूरी खबर 

एक साल में 413 सड़क हादसे, 111 घातक दुर्घटनाएं, एनएच-20 बना मौत का कॉरिडोर

Report by Nawada News Xpress / नवादा / सूरज कुमार

वर्ष 2025 विदा होने को है, लेकिन नवादा जिले की सड़कों पर तेज रफ्तार और लापरवाही का कहर थमने का नाम नहीं ले सका। आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि सड़क सुरक्षा को लेकर चेतावनी, अभियान और नियमों के बावजूद लोग सतर्क नहीं हुए। नतीजा यह है कि साल 2024 की तुलना में वर्ष 2025 में सड़क दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या और बढ़ गई है। जिले में वर्ष 2025 के दौरान अब तक कुल 413 वाहन दुर्घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें 198 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है।

यही नहीं, इन हादसों में 701 लोग घायल होकर सड़क दुर्घटनाओं की चपेट में आए हैं। इनमें से 111 दुर्घटनाएं ऐसी रहीं, जिन्हें घातक श्रेणी में रखा गया है। ये आंकड़े न सिर्फ चिंताजनक हैं, बल्कि प्रशासन और समाज—दोनों के लिए गंभीर चेतावनी भी हैं। अगर वर्ष 2024 से तुलना करें, तो तस्वीर और भयावह नजर आती है। वर्ष 2024 में जिले में 393 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 177 लोगों की जान गई थी। यानी वर्ष 2025 में दुर्घटनाओं की संख्या ही नहीं, बल्कि मौतों का आंकड़ा भी बढ़ गया। इसके बावजूद सड़क पर चलने वालों के व्यवहार में कोई ठोस सुधार नहीं दिख रहा है।

एनएच-20 बना मौत का रास्ता, तीन ब्लैक स्पॉट चिन्हित

सड़क हादसों के विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि जिले से गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-20 (एनएच-20) सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुआ है। वर्ष 2025 में जिले के तीन स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया। इनमें मुफस्सिल थाना क्षेत्र का अम्बिका बिगहा, नगर थाना क्षेत्र का हड्डी गोदाम तथा नेमदारगंज थाना क्षेत्र का बरेव मोड़ शामिल हैं। इन सभी स्थानों पर बार-बार दुर्घटनाएं होने से यह साफ है कि यहां विशेष सुरक्षा उपायों की सख्त जरूरत है।

युवा वर्ग बना सबसे बड़ा शिकार

हादसों में सबसे अधिक प्रभावित युवा वर्ग हो रहा है। तेज रफ्तार, बिना हेलमेट बाइक चलाना, ओवरटेकिंग और सड़क पर स्टंट करना—ये शौक कब मौत में बदल जाते हैं, इसका अंदाजा युवाओं को तब होता है, जब बहुत देर हो चुकी होती है। सड़क सुरक्षा को लेकर लापरवाही आज भी चिंता का सबसे बड़ा कारण बनी हुई है।

सवालों के घेरे में सड़क सुरक्षा

लगातार बढ़ते हादसे यह सवाल खड़े कर रहे हैं कि क्या सिर्फ नियम बनाना ही काफी है, जब तक आम लोगों में जिम्मेदारी की भावना नहीं आएगी, तब तक सड़कें यूं ही लहूलुहान होती रहेंगी। जरूरत है सख्त निगरानी, प्रभावी जनजागरूकता और नियमों के कठोर पालन की, ताकि आने वाला साल किसी और 198 जिंदगियों की बलि न ले।

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