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हरितालिका तीज व्रत को लेकर बनी उहापोह, ब्राह्मण महासभा ने क्या जारी किया शुभ मुहूर्त, पढ़ें पूरी खबर 

तृतीया-चतुर्थी तिथि पर तीज व्रत का इसबार बन रहा कई शुभ संयोग, ब्राह्मण महासभा ने कहा 5 सितम्बर गुरुवार को नहाय-खाय और 6 सितम्बर शुक्रवार को है निर्जला उपवास व पूजा 

Report by Nawada News Xpress 

नवादा / सूरज कुमार 

पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला हरितालिका तीज व्रत करती हैं, परंतु इसबार तीज व्रत पर कई शुभ संयोग बन रहा है। वहीं आम लोगों में इस व्रत की तिथि को लेकर काफी उहापोह बनी हुई है।

ऐसे में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा नवादा एवं अध्यात्म भारती परिषद ने संयुक्त रुप से उपस्थित विद्वत्व जनों द्वारा इस व्रत को लेकर लिए गए निर्णय का प्रकाशन जिला प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी विद्याधर पांडेय  ने शुभ मुहूर्त जनहित में जारी किया है, जो निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु एवं बनारस पञ्चांग में वर्णित तत्यों के आधार पर है।

उन्होंने बताया कि हरितालिका तीज का नहाय-खाय 5 सितम्बर गुरुवार को है और निर्जला उपवास व व्रत 6 सितम्बर शुक्रवार का दिन शुभ बना है, जिसमें पूजा मुहूर्त संध्या प्रदोषकाल 5.14 बजे से रात्रि 11.45 तक है। उन्होंने कहा कि दूसरे किसी भ्रम में नहीं पढ़ते हुए उक्त शुभ तिथि को ही हरितालिका तीज मनाएं।

उन्होंने कहा कि धर्म सिंधु, व्रत निर्णय सिंधु एवं बनारस पंचांग वर्णित श्लोक में कहा गया है कि तत्र चतुर्थी संहिता यातुसा व्रत फल प्रभा! अवैध व्यकरा स्त्रीणां पुत्र पौत्र प्रवर्धिनी!! अर्थात् हरितालिका व्रत मुख्य रुप से तृतीया-चतुर्थी संयुक्त तिथियों में ही किया जाता है, जो स्त्रियों के सौभाग्य, पुत्र, पौत्र को वृद्धि करने में सहायक होता है।

उन्होंने कहा कि द्वितीया-तृतीया मिश्रित तिथि में यह व्रत नहीं होता है, इससे व्यथा और हानि होती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया शुक्रवार को दोपहर 12.09 तक है। इसके बाद चतुर्थी तिथि लग रही है, अत्यंत ही शुभ है।

इसके साथ ही कई शुभ संयोग भी मिल रहा है, जिसमें हस्त नक्षत्र सुबह 8.09 बजे से, शुक्ल योग, कन्या एवं तुला राशि की चन्द्रमा व्याप्त है। वहीं अमृत सिद्धि योग होने से पुत्र-पौत्र एवं सौभाग्य वृद्धि का योग है।

पंडित जी बताते हैं कि स्त्रियों के सबसे पवित्र हरितालिका तीज व्रत, जो सौभाग्य व पति के दीर्घायु, पुत्र-पौत्र आदि वृद्धि एवं विकास के लिए भाद्रपद‌ तृतीया को किया जाता है। वहीं कुमारी कन्याएं भी अच्छे घर वर की प्राप्ति के लिए करती है।

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