चुनावी और भौगोलिक दृष्टिकोण से नवादा है महत्वपूर्ण
वारिसलीगंज का बंद चीनी मील फिर बनेगा चुनावी मुद्दा
एनडीए की लगातार जीत से हाइट्रिक का लोग लगा रहे कयास
प्रत्याशियों से नवादा वासी कई सवाल पूछने को हैं तैयार
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार
भारतीय मानचित्र पर झारखंड से सटे 39-नवादा लोकसभा का अपना एक अलग ही पहचान है। औद्योगिक क्षेत्र में नवादा जिला कभी चीनी मिल के रूप में जाना जाता था, अब उद्योग विहीन हो गया है। नवादा जिले के वारिसलीगंज में चीनी मिल होने के कारण नवादा हीं नहीं बल्कि शेखपुरा, जमुई तथा गया के अलावा नालंदा जिले के किसनों का मुख्य आमदनी का स्रोत ईख की खेती हुआ करता था, जो नवादा के लिये गर्व हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे समय के काल सब कुछ बदल दिया और जिले का एक मात्र उ़द्योग चीनी मिल बंद हो गया। फिलवक्त बंद चीनी मिल की जमीन को वियाडा ने अडानी ग्रुप को लीज पर दे दिया है, जहां सिमेंट फैक्ट्री बनाने की प्रक्रिया चल रही है। यह जिला सकरी, खुरी, तिलैया तथा धनार्जय नदी से घिरा हुआ है, बावजूद इस जिले के किसान सुखाड़ का दंश झेलने को मजबूर हैं। यही वजह है कि यहां के मजदूरों व नौवजवानों का पलायन प्रमुख समस्या बन चुकी है। पिछले दो दषक से बंद चीनी मील चालू करने के नाम पर हर बार चुनावी मुद्दा बनाकर नवादा की जनता को ठगने का काम किया जाता रहा है। आने वाले उम्मीदवारों से यहां की जनता कई सवाल पूछने को तैयार हैं।

नवादा लोकसभा में छह विधानसभा है शामिल, 17 लाख 69 हजार 796 मतदाता चुनेंगे सांसद
नवादा लोकसभा में 15 मार्च 2024 तक कुल मतदाताओं की संख्या-17 लाख 69 हजार 796 है, जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या-9 लाख 20 हजार 190, महिला मतदाताओं की संख्या-8 लाख 49 हजार 457 तथा थर्ड जेंडर की संख्या-149 है। विधानसभा के अनुसार 235, रजौली सुरक्षित विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या-3 लाख 70 हजार 30 है, जिसमें पुरूष मतादाताओं की संख्या-एक लाख 74 हजार 535, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या-एक लाख 62 हजार 476 तथा थर्ड जेंडर की संख्या-19 है। 236-हिसुआ विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या-3 लाख 85 हजार 874 है, जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या-2 लाख 10 हजार 3 तथा महिला मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 84 हजार 822 तथा थर्ड जेंडर 49 है। 237-नवादा विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या-3 लाख 63 हजार 599 है, जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 88 हजार 757 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 74 हजार 828 तथा थर्ड जेंडर 14 है।

238-गोविंदपुर विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या-3 लाख 24 हजार 822 है, जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 68 हजार 984 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 55 हजार 804 तथा थर्ड जेंडर 34 है। 239-वारिसलीगंज विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या-3 लाख 58 हजार 471 है, जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 86 हजार 911 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या- 1 लाख 71 हजार 527 तथा थर्ड जेंडर 33 है। वहीं नवादा लोकसभा का हिस्सा में रहे षेखपुरा जिले के बरबीघा विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या-4 लाख 97 हजार 808 है, जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 2 लाख 60 हजार 205 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या-2 लाख 37 हजार 601 तथा थर्ड जेंडर की संख्या-मात्र 2 है।

नवादा में पहली बार 1996 में भाजपा ने जीता था चुनाव
पहली बार इस सीट पर 1996 में बीजेपी ने चुनाव जीता. इस चुनाव में बीजेपी ने कामेष्वर पासवान को टिकट दिया था और वह जीते भी थे। 1998 के चुनाव को राजद प्रत्याशी मालती देवी ने जीता था। 2004 में राजद के वीरचंद्र पासवान ने यहां से चुनाव जीता था। 2009 में बीजेपी ने वापसी की और जीत हासिल कर भोला सिंह सांसद चुने गये। इसके बाद 2014 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी गिरिराज सिंह विजयी हुए। हालांकि, 2019 के चुनाव में एनडीए ने सहयोगी दल लोजपा को यह सीट दे दी थी, जिस पर चुनाव लड़ते हुए चन्दन सिंह ने जीत हासिल किया। 2019 में लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए चंदन सिंह ने 495,684 वोट हासिल किए थे। विभा देवी को आरजेडी ने चुनावी मैदान में उतारा था, इन्हें 347,612 मत प्राप्त हुए थे।

जानें चुनावी इतिहास
नवादा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का दबदबा देखने को मिलता है। 1952 से लेकर 1962 तक जितने भी चुनाव हुए सभी में कांग्रेस प्रत्याशी ने ही परचम लहराया। हालांकि, कांग्रेस के जीत के सिलसिले को 1967 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी सूर्य प्रकाश पुरी ने रोक दिया था। इस चुनाव में सूर्य प्रकाश पुरी विजयी रहे। हालांकि, जब 1971 का चुनाव हुआ तो कांग्रेस ने दमदार वापसी करते हुए फिर से जीत हासिल की। उस समय कांग्रेस के टिकट पर सुखदेव प्रसाद वर्मा चुनाव जीते थे। 1977 में जब इस सीट पर लोकसभा चुनाव हुआ तो भारतीय लोक दल ने नथुनी राम को टिकट दिया औऱ नथुनी राम चुनाव जीत गए, लेकिन कांग्रेस ने 1980 के चुनाव वापसी करते हुए फिर एकबार जीत हासिल की। कांग्रेस के कुंवर राम ने यह चुनाव जीता था। इसके साथ ही वर्ष 1984 में भी कुंवर राम ने ही जीत हासिल की। 1989 के चुनाव में समीकरण बदल गया औऱ जनता ने सीपीआई (एम) के प्रेम प्रदीप को जीत का सेहरा पहना दिया।

1991 में जीत का सिलसिला बरकरार रखते हुए फिर से सीपीआई (एम) के प्रत्याशी प्रेमचंद राम ने जीत हासिल किया। इसके बाद 1996 में भाजपा के कामेष्वर पासवान ने जीत हासिल कर समिकरण ही बदल दिया। 1998 में मालती देवी ने राजद से चुनाव जीती, परंतु इसके ठीक एक साल बाद मालती देवी के निधन उपरांत 1999 में उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के संजय पासवान ने जीत का परचम लहराया। वहीं 2004 में राजद के वीरचंद पासवान ने जीत हासिल किया। इसके बाद से भाजपा ने फिर किसी पार्टी को जीतने का मौका नहीं दिया, जिसमें 2009 में भाजपा के भोला सिंह और 2014 में भाजपा के गिरिराज सिंह ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा। इसके साथ ही 2019 में भाजपा समर्थित दल लोजपा के खाते में नवादा सीट चले जाने के बाद यहां से लोजपा के चंदन सिंह ने जीत का कारवां जारी रखा।

भौगोलिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है नवादा
नवादा लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यह भौगोलिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। यहां पर ककोलत का शीतल जल प्रपात है, जहां गर्मी के दिनों में पहाड़ और झरना देखने के साथ शीतल जल प्रपात में स्नान करने के लिए सैलानी दूर-दूर से आते हैं। पौराणिक काथाओं के अनुसार इस जल प्रपात में महाभारत काल की गाथाएं जुड़ी है, जहां पांडव निवास किये थे। यहां इन्द्रासाल गुफा भी है। ऐसी मान्यता है कि इस गुफा में गौतम बुद्ध आए थे। इस गुफा में गौतम बुद्ध ने निवास किया था। ऐसा कहा जाता है कि यहां देव राज इन्द्र भी आए थे। वहीं दूसरी ओर नवादा के हंडिया गांव में सूर्य नारायण धाम, जो विभिन्न प्राचीन सूर्य धामों में एक माना जाता है, यह मंदिर सालों से आस्था का केंद्र बना हुआ है, जहां द्वापर कालीन युग की गाथा जुड़ा है। महाभारत काल के महाराजा जरासंध की पुत्री भगवान सूर्य को जलार्पित किया करती थी। यहां के तालाब में स्नान मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और चर्म रोग से भी मुक्ति मिलती है। यहां पर बुधौली मठ, सेखोदेवरा आश्रम और श्री गुनावां जी तीर्थ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

लोकसभा से जीतने वाले प्रत्याशियों की सूची
1952 में ब्रजेष्वर प्रसाद- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1957 में सत्यभामा देवी- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962 में राम धनी दास- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967 में सूर्य प्रकाश पुरी- निर्दलीय
1971 में सुखदेव प्रसाद वर्मा- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977 में नथुनी राम- जनता पार्टी
1980 व 1984 में कुंवर राम- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989 में प्रेम प्रदीप- सीपीआई (एम)
1991 में प्रेम चंद राम- सीपीआई (एम)
1996 में कामेष्वर पासवान- भारतीय जनता पार्टी
1998 में मालती देवी- राष्ट्रीय जनता दल
1999 में संजय पासवान- भारतीय जनता पार्टी
2004 में वीरचंद्र पासवान- राष्ट्रीय जनता दल
2009 में भोला सिंह- भारतीय जनता पार्टी
2014 में गिरिराज सिंह- भारतीय जनता पार्टी
2019 में चंदन सिंह- लोक जन शक्ति पार्टी
