नवादा लोकसभा में भाजपा कोटा मिलने के बाद कौन होगा उम्मीदवार, चर्चा का बाजार गरम
एनडीए गठबंधन में पिछले लोकसभा से नवादा को लोजपा आर ने सम्भाला था कमान
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हिसुआ सभा में किया गया घोषणा हुआ पूरा
भाजपा के खाते में नवादा सीट जाने के बाद बाहरी व लोकल उम्मीदवारों पर लोग करने लगे जोड़-घटाव
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार

लोकसभा चुनाव का बिगुल फुंकाते ही सीट शेयरिंग का मामला एनडीए ने साफ कर दिया है। नवादा लोकसभा सीट से जहां लोगों में लोजपा आर की चर्चा जोरों पर थी, अब भाजपा के खाते में नवादा सीट चले जाने के बाद लोगों में प्रत्याशियों की चर्चा गरमा गई है। सोमवार को दोपहर बाद जैसे ही नवादा लोकसभा सीट भाजपा के खाते में जाने की बात आते ही भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर देखते बन रहा है। वहीं उम्मीदवारी पर भी चर्चा जोरों पर है।

इसबार नवादा का बेटा उम्मीदवार होगा या बाहरी उम्मीदवार को नवादा से टिकट दिया जायेगा, इसका असमंजस अभी भी बरकरार है। वैसे भाजपा की बात करें तो नवादा लोकसभा सीट से पहला नाम राज्य सभा सांसद विवेक ठाकुर का आ रहा है, जबकि सीट के लिए हिसुआ के पूर्व विधायक अनिल सिंह तथा वारिसलीगंज विधायक अरूणा देवी भी दौड़ में शामिल हैं। गौरतलब हो कि नवादा लोकसभा सीट पर पिछले तीन चुनाव से लगातार एनडीए का कब्जा कायम है। नवादा में जातिगत समीकरण ज्यादा मायने रखता है। परिसिमन से पहले नवादा लोकसभा सीट एससी आरक्षित सीट हुआ करता था, लेकिन 2009 चुनाव से पहले इसे सामान्य सीट में बदल दिया गया।

वर्ष 2009 और 2014 में यहां भाजपा ने कब्जा जमाया। इसके बाद 2019 में भाजपा ने गठबंधन के सहयोगी पार्टी लोक जनषक्ति पार्टी को यह सीट दे दिया, जिसमें अभी राष्ट्रीय लोक जनषक्ति पार्टी के चंदन सिंह सांसद हैं। वहीं राजद की बात करें तो पिछले तीन चुनाव से हार का सामना करना पड़ रहा है। इसबार जिस तरह से मोदी लहर चला हुआ है और नवादा के खाते में भाजपा ने सीट ले लिया उससे 2024 का चुनाव जीतना महागठबंधन के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। गौरतलब हो कि नवादा के हिसुआ में पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात को साफ कर दिया था कि 2024 लोकसभा चुनाव में नवादा सीट से भाजपा चुनाव लड़ेगी, वह घोषण सच साबित हुआ।

नवादा लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण रहा हावी
नवादा लोकसभा सीट की बात करें तो यहां हमेषा से जातिगत समीकरण हावी रहा है। इस सीट पर यादव और भूमिहार वोट किसी भी पार्टी की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। हालांकि, पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित और महादलित वोटरों की संख्या भी कम नहीं है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों का दबदबा है। बता दें कि सभी पार्टियां जातिगत समीकरणों के आधार पर ही नवादा में अपनी रणनीति तैयार करते हैं।

2019 के चुनाव में लोजपा के चंदन सिंह ने एनडीए को दिलाया था जीत
लोकसभा चुनाव 2019 में यह सीट एनडीए गठबंधन के सहयोगी पार्टी लोजपा के खाते में चला गया। लोजपा ने चंदन सिंह को यहां से टिकट दिया और उन्होंने आरजेडी की विभा देवी को करीब 1.48 लाख वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज किया था। हालांकि 2020 में लोजपा में टूट हो गई और चंदन सिंह केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के गुट वाली पार्टी रालोजपा में चले गए।

2014 में गिरिराज सिंह ने बीजेपी जीत का लहराया था परचम
लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान बीजेपी ने गिरिराज सिंह को नवादा से टिकट दिया था। गिरिराज ने आरजेडी और जेडीयू को बुरी तरह से मात देते हुए करीब 1.40 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज किया था। इस चुनाव परिणाम में राजद के राजबल्लभ प्रसाद दूसरे स्थान पर और जदयू के कौशल यादव तीसरे स्थान पर रहे। इससे पहले 2009 में भाजपा के स्व भोला सिंह भी सांसद बने थे। वैसे इसबार फिर से गिरिराज सिंह को उम्मीदवारी मिलने का रास्ता साफ होता दिख रहा है।

नवादा में एनडीए और महागठबंधन की सीधा मुकाबला होने के दिख रहे आसार
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर नवादा में सभी दलों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां तेज कर ली हैं। इस सीट पर महागठबंधन और एनडीए उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार दिख रहे हैं। वहीं, पिछले कुछ चुनावों के परिणाम पर नजर डालें तो बीजेपी भी इस क्षेत्र में मजबूत स्थिति में रही है। ऐसे में बीजेपी को नवादा सीट मिलने के बाद भाजपा समर्थकों में काफी उम्मीदें जगी है। दूसरी ओर महागठबंधन से आरजेडी की दावेदारी इस सीट से मजबूत दिख रही है। हालांकि, अभी न तो एनडीए यानि भाजपा ने उम्मीदवारों की घोषणा की है और ना ही महागठबंधन ने सीट शेयरिंग का पत्ता खोला है। फिलवक्त नवादा में चुनाव दिलचस्प होने वाली है, लोगों को बेसर्बी से उम्मीदवारों की घोषणा का इंतजार है।
