सुबोध कुमार का नाम कभी भी मतदाता सूची में नहीं रहा, प्रशासन ने पेश किए दस्तावेज़ और सबूत
Nawada News Xpress / नवादा / सूरज कुमार

राहुल गांधी की “वोटर अधिकार यात्रा” के दौरान वारिसलीगंज के सुबोध कुमार द्वारा लगाए गए आरोपों की सच्चाई अब सामने आ गई है। सुबोध ने दावा किया था कि मतदाता पुनरीक्षण के दौरान उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया है। लेकिन प्रशासन की जांच में यह तथ्य उजागर हुआ कि सुबोध कुमार का नाम कभी भी मतदाता सूची में शामिल ही नहीं रहा।

प्रशासन का स्पष्ट बयान
निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी सह भूमि सुधार उपसमाहर्ता, नवादा सदर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि— सुबोध कुमार का नाम वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्र संख्या-10 (अनुसूचित प्राथमिक विद्यालय, महरथ) की मतदाता सूची में कभी दर्ज ही नहीं था। उनके परिवार के अन्य सदस्य भले ही सूची में शामिल हैं, लेकिन स्वयं सुबोध का नाम किसी भी समय दर्ज नहीं पाया गया।

स्वयं उपस्थित रहकर भी नाम नहीं जुड़वाया
विशेष पुनरीक्षण 2025 के दौरान जब बीएलओ ने विलोपित मतदाताओं की सूची बूथ पर चिपकाई, उस समय सुबोध स्वयं मौजूद थे और उपस्थिति रजिस्टर पर उनका हस्ताक्षर भी दर्ज है। बावजूद इसके उन्होंने फॉर्म-6 भरकर नाम जुड़वाने की प्रक्रिया पूरी नहीं की।

आरोप साबित हुए झूठे
प्रशासन ने साफ किया कि सुबोध कुमार ने न तो कोई दावा-आपत्ति दर्ज की और न ही आवश्यक प्रपत्र जमा किया। ऐसे में उनके द्वारा लगाया गया आरोप “निराधार और असत्य” है। भविष्य में यदि वे नियमानुसार फॉर्म-6 भरेंगे तो उनका नाम जोड़ा जा सकता है।

मामला कैसे उभरा?
हाल ही में राहुल गांधी जब नवादा पहुंचे, तो वारिसलीगंज में सुबोध कुमार ने सार्वजनिक तौर पर शिकायत की थी कि वोटर लिस्ट से उनका नाम हटा दिया गया है। राहुल गांधी ने भी इस मामले को आधार बनाकर सरकार पर निशाना साधा। लेकिन प्रशासनिक जांच में यह खुलासा हुआ कि सुबोध का नाम कभी भी सूची में नहीं था।

प्रशासन ने किया “सच्चाई का उजागर”
इस पूरे प्रकरण ने यह साफ कर दिया कि अधूरी जानकारी के आधार पर बयानबाज़ी हुई। प्रशासन ने तथ्यों और दस्तावेजों के साथ सच्चाई सामने रख दी, जिससे पूरा मामला स्पष्ट हो गया। इस तरह,

राहुल गांधी के आरोप पर उठे विवाद में प्रशासन की जांच ने “हकीकत और हवाई दावों” के बीच अंतर साफ कर दिया। बता दें कि राहुल गांधी की यात्रा के दौरान उठे इस विवाद को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हुई थी। लेकिन, प्रशासन की जांच ने पूरे मामले को साफ कर दिया और सच्चाई सामने रख दी।

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