सदर विधायक विभा देवी ने पत्राचार कर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से पूछा अहम सवाल, विधायक ने कहा मैं राजद में थी और आगे भी रहूंगी, आगामी सदन में जिस स्थान पर बैठते थे, आज भी उसी स्थान पर बैठूंगी
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार

नवादा में पिछले दिनों हुई मिलन समारोह में मंच से नवादा विधायक विभा देवी के परिवार के प्रति जो अनैतिक भाषण दिया गया उसको लेकर भड़के विधायक श्रीमती देवी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को पत्र लिखकर घोर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने पत्र में लिखा कि आपके एवं आपके कुछ रिश्तेदारों समेत छाया की तरह आपके साथ रहने वाले कुछ समाज सुधारक नेताओं द्वारा इधर कुछ वर्षों से मेरे और मेरे परिवार के उपर बिल्कुल झूठा आरोप लगाया जा रहा है। मेरे लिए सम्मानित व पूजनीय परिवार के बारे में आम लोगों के बीच गलत जानकारी बांटी जा रही है, जो घोर निंदनीय है। उन्होंने कहा कि मैं एक बात साफ कर देना चाहती हूं कि मैं अपना सम्मान बेच कर राजनीति करने नहीं आई हूं।

कोई भी विधायकी या संसदीय पद तब तक ही अच्छा लगता है, जब तक उसपर किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं हो और जनता को ठगने या झूठ बोलने का उसपर कोई आरोप नहीं लगा हो। उन्होंने कहा कि मेरी गलती तो बस इतना ही है कि अंतिम बार जब सरकार बनाने-बिगाड़ने का राजीनीतिक खेल चल रहा था, उस समय मुझसे भारी भरकम धन राशि की मांग आपके साथ रहने वाले समाज सुधारक नेताओं द्वारा की गई थी। मैं इस मांग को पूरा करने में बिलकुल असमर्थ थी, परंतु यह भी सत्य है कि विधायक प्रहलाद यादव, विधायक नीलम देवी तथा आनंद मोहन के विधायक पुत्र चेतन आनंद की तरह मैंने कोई पाला नहीं बदला।

जबकि, दर्जनों नेता मुझसे आकर मिले और प्रकाशवीर के साथ पाला बदलने के लिए तरह-तरह का प्रलोभन दिया गया, लेकिन हम दोनों विधायक आपकी पार्टी के साथ खड़े रहे। मेरी यही गलती थी कि आपको गलत काम करने के लिए भारी धनराशि उपलब्ध नहीं करा सकी। मेरे पास इतनी धनराशि थी भी नहीं, क्योंकि आप जानते हैं कि मेरे पति वर्षों से जेल में बंद हैं। मैं कभी किसी से घूस नहीं लेती और ना ही भ्रष्टाचार करने की कभी आदत रही है। ऐसे में मैं करोड़ों रुपये का इंतेजाम कहां से कर सकती थी। उन्होंने कहा कि मैं और विधायक प्रकाशवीर बगैर किसी प्रलोभन में आए अपने धर्म एवं कर्तव्य की रक्षा करते हुए आपके जैसे व्यक्ति के साथ खड़ी रही। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष से सवाल किया कि लोकसभा चुनाव के पहले जब पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के प्रयास से मेरे पति राजबल्लभ प्रसाद को दो बार पैरोल मिला।

यह पेरौल 95 साल की बुजुर्ग माताजी के इलाज और परिवार में बंटवारा के लिए मिला था। इसी पैरोल के दौरान एक दिन रात के लगभग 9 बजे लालू प्रसाद से राजबल्लभ प्रसाद मिले थे, उस वक्त मैं और मेरा भांजा मनोज कुमार साथ में थे। सवा घंटे की मुलाकात में पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी एक घंटा उपस्थित रहे थे। इस दौरान क्या बात हुई थी क्या जनता को बताएंगे। उस समय वहां पहले से एक बुजुर्ग बैठे हुए थे जो शायद डॉक्टर साहब के नाम से जाने जाते थे। लालू प्रसाद ने उनके बारे में पूछा भी कि इन्हें भी अलग बैठा दिया जाय क्या, तो राजबल्लभ प्रसाद ने कहा नहीं, क्योंकि सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात करनी थी। आपने लोकसभा चुनाव के बारे में चर्चा शुरू किया था। मेरे पति राजबल्लभ प्रसाद ने साफ शब्दों में इनकार किया था कि आगे भविष्य में राजनीति में मेरा परिवार सक्रिय नहीं रहेगा।

मेरे परिवार का मतलब मैं विभा देवी और मेरे दोनों पुत्र होता है, यह बताने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे वोट देने का भी व्यक्तिगत अधिकार नहीं है, कारण मैं जेल में बंद हूं और निचली अदालत से सज़ावार हूं। राजबल्लभ प्रसाद ने लालू प्रसाद से मुखातिब होकर यह स्पष्ट रूप से कहा था कि मैं इतने वर्षों तक आपका साथ रहा आप जानते हैं कि बढ़िया नेता बनने के लिए पांच तरह का गुण होना नितांत आवश्यक है। पहला झूठ बोलने की कला आता हो, दूसरा जनता को ठगने में माहिर हो, तीसरा भाई-भाई को लड़ाने में माहिर हो, चैथा घूस लेने में माहिर हो और पांचवा गुण बड़े नेताओं की खुशामद करके खुश रखना जानता हो। आप जानते हैं कि इन सब गुणों का व्यक्तिगत रूप से मुझ में अभाव है।

मैं अगर बड़े नेताओं का गुणगान और खुशामद करूंगा तो आम पब्लिक का और क्षेत्र का विकास मैं नहीं कर सकता या कोई भी नहीं कर सकता। मैं विधायक व सांसद बनकर या बनवाकर आम जनता के कल्याण और विकास के बीच में क्यों बाधक बनूं। तब लालू यादव ने कहा कि हम लोग नवादा लोकसभा का चुनाव कैसे जीतेंगे, क्योंकि इस बार एक-एक सीट पर वन टू वन फाइट होगा, तब राजबल्लभ प्रसाद ने कहा था कि वैसे उम्मीदवार को भेज दीजिएगा जो इन पांचो गुणों में थोड़ा कम हो। ऐसे उमीदवार को मेरे लोग पूरी ताकत के साथ सभी तरह का सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि उक्त सभी बातों को जनता के साथ साझा करेगें। विनोद यादव राजबल्लभ प्रसाद का उम्मीदवार था या मैंने उनके लिए कोई पैरवी की। विनोद यादव वास्तव में आपका लालू प्रसाद के उम्मीदवार थे।

आपने उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू होने के वक्त ही फोन करके पूछा था कि किसको उम्मीदवार बनाना है, तो राजबल्लभ प्रसाद ने स्पष्ट बोल दिया था कि मेरा कोई उम्मीदवार नहीं है। मैं इस पर कोई विचार किसी को नहीं दिया है। तब आपने ही कहा था कि विनोद यादव साल-दो साल से क्षेत्र में घूम रहे हैं तो क्या मैं या राजबल्लभ प्रसाद उनका विरोध करके अपने घर में ही लड़ाई शुरू कर देते। आखरी समय में विनोद यादव का टिकट आपने किस आधार पर काटा ये सारे लोग जानते हैं, क्योंकि हजारों लोग वहां आपके आवास पर पहुंचे हुए थे, जिसमें नवादा के लोग भी शामिल थे। नवादा के लोगों ने यह भी खुली आंखो से देखा कि श्रवण कुशवाहा कितना बड़ा ट्रॉली बैग में कौन सा सर्टिफिकेट या दस्तावेज भर कर ले गए थे। मूल रूप से आज का यही एक सवाल है कि विनोद यादव किसके उम्मीदवार थे और उनकी उम्मीदवारी को क्यों कैंसिल किया गया था।

उन्होंने कहा कि आज तक मैंने, मेरे जेठ स्व कृष्णा प्रसाद ने, स्व जेहल प्रसाद ने अथवा जेल में बंद राजबल्लभ प्रसाद ने वोट का सौदा कभी नहीं किया। विधायक श्रीमती देवी ने कहा कि यह राघोपुर नहीं है जहां एक-एक दिन में करोड़ों रुपये बांटा जाता है, यह मैं इसलिए बोल रही हूं कि हमारा सैकड़ो परिवार उस क्षेत्र का निवासी है और एक-एक बात मैं जानती हूं। यह नवादा है श्रीमान, जिस दिन 50 साल से नीचे के नौजवानों को इन करतूतों की जानकारी होगी तो आपके नवादा वाले रिश्तेदार का क्या पोजीशन रहेगा, उसका तो भगवान नहीं जनता जनार्दन ही मलिक होगा। अंत में आज का यही एक सवाल दुहराउंगी कि वास्तव में लोकसभा चुनाव में विनोद यादव किसका उम्मीदवार थे। प्रेसवार्ता के दौरान रजौली विधायक प्रकाशवीर सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।

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