तुलसी पूजन के जरिए बच्चों ने दिया सांस्कृतिक चेतना और सनातन मूल्यों का संदेश, भारतीय सभ्यता का आधार है तुलसी, यह केवल पौधा नहीं जीवन दर्शन है – डॉ. अनुज सिंह
Report by Nawada News Xpress / नवादा / सूरज कुमार

नवादा में स्कूली बच्चों ने पाश्चात्य सभ्यता को छोड़कर देसी सभ्यता का सन्देश दिया है। जहां एक ओर आज के दौर में अधिकांश शैक्षणिक संस्थान पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण में क्रिसमस ट्री और विदेशी परंपराओं को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं मॉडर्न शैक्षणिक संस्थान ने भारतीय सभ्यता और सनातन संस्कृति की मजबूत नींव को पुनः सशक्त करने का प्रेरक प्रयास किया। मॉडर्न समूह द्वारा संचालित सभी विद्यालयों में 25 दिसंबर को भव्य और श्रद्धापूर्ण तुलसी पूजन कार्यक्रम का आयोजन कर भारतीय सांस्कृतिक चेतना का संदेश दिया गया।

इस अवसर पर मॉडर्न चिल्ड्रन स्कूल, मॉडर्न पब्लिक स्कूल, न्यू मॉडर्न इंग्लिश स्कूल (न्यू एरिया), मॉडर्न इंग्लिश स्कूल (कुंती नगर), मॉडर्न इंटरनेशनल स्कूल (हिसुआ) एवं मॉडर्न इंटरनेशनल स्कूल (नारदीगंज) के छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक वेशभूषा में तुलसी माता का विधिवत पूजन किया। बच्चों ने भक्ति भाव से आरती, परिक्रमा के साथ-साथ मनोहारी सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम को भावपूर्ण बना दिया।

कार्यक्रम में उपस्थित मॉडर्न समूह के निदेशक डॉ. अनुज सिंह ने बच्चों के साथ तुलसी माता की आरती उतारी और कहा कि “आज का यह आयोजन केवल पूजा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति को बचाने और उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का संकल्प है। जब दुनिया भौतिकता की ओर भाग रही है, तब मॉडर्न के बच्चे अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश दे रहे हैं।” उन्होंने तुलसी पूजन दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तुलसी आयु, आरोग्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है।

इसके दर्शन से पापों का नाश, स्पर्श से पवित्रता, प्रणाम से रोगों का निवारण तथा नियमित सेवन से लौकिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। तुलसी केवल पौधा नहीं, बल्कि भारतीय जीवन-दर्शन का जीवंत प्रतीक है। नारदीगंज शाखा में प्राचार्य सुनील कुमार मिश्रा द्वारा तुलसी पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति के समन्वय का संदेश दिया गया। वहीं कुंती नगर शाखा के उपप्राचार्य मिथिलेश कुमार विजय ने कहा कि ऐसे आयोजन सनातन संस्कृति को सहेजने के साथ-साथ समाज को प्रकृति और परंपराओं के प्रति जागरूक करने का सशक्त माध्यम हैं।

भारतीय संस्कृति भोग नहीं, बल्कि त्याग, सेवा और राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा देती है। कार्यक्रम को सफल बनाने में बिस्मिता साहू, दिव्या, प्राची, लकी, हनी, स्वीटी, कुमारी स्वीटी, शबाना, श्री नारायण पाठक, प्रत्यूष आनंद, परमानंद कुमार, सोनू कुमार, राहुल कुमार सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं की सराहनीय भूमिका रही। बता दें कि मॉडर्न शैक्षणिक संस्थान का यह आयोजन पाश्चात्य अंधानुकरण पर करारा प्रहार करते हुए भारतीय सभ्यता, संस्कृति और सनातन मूल्यों की रक्षा का सशक्त उदाहरण बनकर उभरा है।


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