प्रवक्ता सैयद मसीह उद्दीन बोले – ठंड में गरीबों को बेघर करना प्रशासनिक अमानवीयता, संविधान व सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का खुला उल्लंघन
Report by Nawada News Xpress / नवादा / सूरज कुमार

मानवाधिकार दिवस के मौके पर जहां पूरा देश संवेदनशीलता और अधिकारों की बात कर रहा था, वहीं बिहार में गरीबों, फुटपाथी दुकानदारों और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवारों पर बुलडोज़र चलाए जाने को लेकर राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। जनसुराज पार्टी ने इस कार्रवाई को “अमानवीय, असंवैधानिक और गरीब-विरोधी” बताते हुए तत्काल रोक लगाने की मांग की है। जनसुराज पार्टी के प्रवक्ता सैय्यद मसीह उद्दीन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजे गए ई-मेल में कहा कि मानवाधिकार दिवस पर जिस समय बिहार सरकार संवेदनशीलता दिखा सकती थी, उसी समय गरीब परिवारों की झोपड़ियाँ उजाड़ी जा रही हैं। उन्होंने कहा— “महिलाएँ ठंड में खुले आसमान के नीचे रो रही हैं, बच्चे भयभीत होकर मां से चिपके हुए हैं और बुज़ुर्ग अपनी जिंदगी की जमा-पूँजी को मलबे में बदलता देख बेबस खड़े हैं। यह सिर्फ प्रशासनिक कठोरता नहीं, बल्कि मानवाधिकार का सीधा उल्लंघन है।”

“बिना नोटिस और पुनर्वास कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन”
मसीह उद्दीन ने आरोप लगाया कि प्रशासन बिना पूर्व नोटिस, बिना वैकल्पिक व्यवस्था और बिना पुनर्वास प्रदान किए सीधे घर और दुकानें तोड़ रहा है। यह न केवल संविधान ही नहीं, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय की गाइडलाइन के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि बिहार में गरीबों को ‘विकास’ के नाम पर कुचला जा रहा है और बुलडोज़र मॉडल गरीबों को मिटाने का तरीका बनता जा रहा है।

नई सरकार पर गंभीर आरोप—“गुजरात-यूपी मॉडल लागू किया जा रहा है”
जनसुराज प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि नई सरकार, जिसमें गृह विभाग भाजपा के पास है, अब उस “गुजरात-यूपी बुलडोज़र मॉडल” को लागू कर रही है, जिसमें विकास का अर्थ गरीबों को हटाना और उनकी पीड़ा को दीवारों व मलबे के पीछे छिपाना है। उन्होंने कहा कि पटना, नवादा समेत कई जिलों में फुटपाथी दुकानदारों को जबरन हटाया जा रहा है और विरोध करने पर पुलिस विशेषकर महिलाओं से दुर्व्यवहार कर रही है। इसका असर रोज कमाने–खाने वाले परिवारों की आजीविका पर पड़ रहा है।

“बुलडोज़र सिर्फ झोपड़ियाँ नहीं, लोकतंत्र का भरोसा तोड़ रहा”
मसीह उद्दीन ने कड़े शब्दों में कहा— “बुलडोज़र झोपड़ियाँ नहीं गिरा रहा, बल्कि लोकतंत्र के भरोसे की दीवारें गिरा रही हैं। ठंड में बच्चों को खुले आसमान के नीचे सुलाना अगर सुशासन है, तो यह सुशासन नहीं, संवेदनहीन शासन है।”
नीतीश कुमार के पुराने संवेदनशील नेतृत्व को याद किया
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील करते हुए कहा कि वे वही पुराने नीतीश बनें जो कार्यकर्ताओं की बात सुनते थे, गरीबों की चिंता करते थे और न्याय को सर्वोपरि मानते थे।

जनसुराज पार्टी की मांगें
जनसुराज पार्टी ने सरकार से निम्न मांगें रखी हैं— बुलडोज़र कार्रवाई पर तत्काल रोक। बेघर परिवारों का तत्काल पुनर्वास। फुटपाथी दुकानदारों और दिहाड़ी मजदूरों की आजीविका की सुरक्षा। संविधान व सुप्रीम कोर्ट की मानवाधिकार गाइडलाइन का पालन। प्रत्येक जिले में राहत-टीम और नाइट-शेल्टर की संख्या बढ़ाने की व्यवस्था। अंत में प्रवक्ता सैय्यद मसीह उद्दीन ने कहा कि सरकार यदि गरीबों की पुकार नहीं सुनेगी तो यह प्रशासनिक नहीं, मानवीय असफलता मानी जाएगी।


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