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मंझवे–ककोलत रोड पर भू-अधिग्रहण मुआवजा विवाद क्यों भड़का, ग्रामीणों ने किया सड़क जाम, पढ़ें पूरी खबर

प्रशासनिक आदेश और मुआवजा समिति की रिपोर्ट के बाद भी भुगतान लंबित, प्रभावित रैयतों ने निर्माण कार्य रोककर जताया आक्रोश

Report by Nawada News Xpress / नवादा / सूरज कुमार

नवादा में मंझवे–ककोलत मुख्य पथ के सुदृढ़ीकरण एवं चौड़ीकरण कार्य के लिए अर्जित भूमि के उचित मुआवजे की मांग को लेकर अकबरपुर प्रखंड के पैजुना पंचायत के ग्रामीणों का आंदोलन मंगलवार को उग्र हो गया। बड़ी संख्या में प्रभावित रैयत ककोलत रोड पर जमे रहे और सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया। आंदोलन का नेतृत्व सुबोध कुशवाहा, शैलेन्द्र कुमार, रंजीत कुमार सहित कई स्थानीय लोगों द्वारा किया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के स्पष्ट निर्देश और भूमि मुआवजा निर्धारण से जुड़ी समिति की रिपोर्ट के बावजूद उन्हें अब तक उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है।

प्राप्त प्रशासनिक आदेश के अनुसार, जिला समाहरणालय, नवादा (भू-अर्जन शाखा) ने दिनांक 22.04.2025 को पत्रांक 605 के माध्यम से विभिन्न केंद्रीय व राज्य परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित भूमि के किस्म व प्रकार के वर्गीकरण हेतु पाँच सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी सह-सदस्य सचिव, अवर निषादक, उप विकास आयुक्त-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी तथा भूमि सुधार उप समाहर्त्ता शामिल हैं। आदेश में स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि एसएच-103 (मंझवे–गोविंदपुर पैकेज-7) के अंतर्गत विभिन्न मौजों की भूमि का स्थलीय निरीक्षण कर वास्तविक किस्म व मूल्यांकन का प्रतिवेदन शीघ्र उपलब्ध कराया जाए। इसी क्रम में ककोलत रोड मुआवजा समिति द्वारा रैयतों की ओर से जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र (दिनांक 23.07.2025) में भी कहा गया है कि पैजुना, डीही, रौनक, चकफतेह, रसाईं, ककोलत समेत अन्य गांवों की भूमि का मुआवजा 2014 की अद्यतन सर्किल दरों एवं बाजार मूल्य (MVR) के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए।

समिति के संयोजक सैय्यद मसीहउद्दीन ने प्रशासन को भेजे पत्र में कहा ह—“रैयतों की जमीन सड़कों के निर्माण में चली गई है, किंतु उन्हें उचित राशि नहीं मिल पा रही है। कई स्थानों पर भूमि की श्रेणी गलत दर्ज कर दी गई है, जिससे मुआवजा कम तय हुआ। सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप वास्तविक मूल्यांकन कर रैयतों को न्यायपूर्ण भुगतान किया जाना आवश्यक है।” रैयतों का कहना है कि 12 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी न तो पुनर्मूल्यांकन पूरा हुआ है और न ही भुगतान प्रक्रिया शुरू की गई है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जब तक मुआवजे की प्रक्रिया पारदर्शी रूप से पूरी नहीं होती, तब तक सड़क निर्माण को आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा। स्थानीय प्रशासन हालात को नियंत्रित करने में जुटा है और आश्वासन दिया गया है कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर योग्य रैयतों को मुआवजा दिलाने की कार्रवाई शीघ्र की जाएगी।

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