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वीरता की मिसाल : कौन है नवादा के लाल धर्मेंद्र पासवान जिसने राष्ट्रपति से सम्मानित होकर जिले का बढ़ाया मान, पढ़ें पूरी खबर

बाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व में माओवादियों से मुठभेड़ में दिखाई अदम्य साहस, घने जंगल में चार माओवादियों को मार गिराने के बाद पुलिस से लूटा गया हथियार व बारूद किया था बरामद 

Report by Nawada News Xpress / नवादा / सूरज कुमार

“यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि मेरी पूरी टीम और मेरे जिले का है।” — राष्ट्रपति से वीरता पदक और प्रशस्ति पत्र पाकर नवादा के लाल पुलिस इंस्पेक्टर (एसटीएफ) धर्मेंद्र पासवान ने यह शब्द कहे। दरअसल यह सम्मान मावादियों से मुठभेड़ में अदम्य साहस का है। जंगल की नीरवता को गोलियों ने तोड़ दिया था।

चार नदियाँ पार करने के बाद एसटीएफ की टीम बाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के घने जंगल में पहुँची। सामने था माओवादियों का खतरनाक गिरोह। 45 मिनट तक चली मुठभेड़ में धर्मेंद्र पासवान ने अपने साथियों के साथ साहस का ऐसा परिचय दिया कि चार माओवादी ढेर हो गए और भारी मात्रा में पुलिस से लूटा गया हथियार व गोला-बारूद बरामद कर बहादुरी का मिसाल कायम किया।

गाँव में खुशी का माहौल

नवादा जिले के हिसुआ थाना क्षेत्र के नौआबागी मोहल्ले में जब लोगों ने टीवी पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों धर्मेंद्र को सम्मानित होते देखा, तो हर कोई गर्व से झूम उठा। मोहल्ले के बुजुर्गों ने कहा — “हमारा बेटा अब पूरे देश का हीरो बन गया है।” उनकी माँ की आँखें खुशी से नम हैं। एक पड़ोसी ने कहा, “धर्मेंद्र भाई बचपन से ही मेहनती थे, लेकिन आज उन्होंने साबित कर दिया कि वे सचमुच मिट्टी के सपूत हैं।”

पुलिस विभाग में गर्व की लहर

धर्मेंद्र के सम्मान की खबर मिलते ही पुलिस विभाग के साथी गर्व से भर गए। मुख्यालय से लेकर थानों तक उनकी बहादुरी की चर्चा है। एक सहकर्मी ने कहा, “धर्मेंद्र सर की हिम्मत हम सबके लिए प्रेरणा है। वे सिर्फ अधिकारी नहीं, बल्कि सच्चे लीडर हैं।”

2009 से अब तक की यात्रा

2009 में सब-इंस्पेक्टर बने धर्मेंद्र ने 16 वर्षों की सेवा में कई थानों पर कार्य किया। अपराधियों के लिए वे सख्त अधिकारी साबित हुए, लेकिन आम लोगों के बीच लोकप्रिय और मददगार बने। वर्तमान में वे पुलिस इंस्पेक्टर (एसटीएफ) के पद पर कार्यरत हैं और हर मिशन में अग्रिम पंक्ति में रहते हैं।

जिले के युवाओं के लिए प्रेरणा

धर्मेंद्र कहते हैं — “पुलिस की वर्दी सिर्फ नौकरी नहीं, यह जनता के विश्वास और देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। इस सम्मान से मेरा कर्तव्य और बढ़ गया है।” उनकी यह सोच और बहादुरी नवादा समेत पूरे बिहार के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।

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