छेड़खानी का विरोध करने पर 75 वर्षीय वृद्ध की हत्या, मुख्य आरोपी गिरफ्तार, दूसरे की तलाश में छापेमारी जारी, नवरात्रि में बेटी की पूजा, लेकिन समाज में अस्मिता असुरक्षित
Report by Nawada News Xpress / नवादा / सूरज कुमार

नवादा में नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। जगह-जगह कन्या पूजन और बेटियों को देवी का स्वरूप मानकर पूजा की जा रही है। सरकार “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा देती है। लेकिन, इन्हीं नारों और परंपराओं के बीच एक दर्दनाक सच्चाई सामने आई है—जहां पोती की अस्मिता की रक्षा करने वाले दादा को अपनी जान गंवानी पड़ी।

दरअसल, यह घटना पकरीबरावां थाना क्षेत्र के डुमरावां बीचली मुसहरी टोला में घटी, जहां गुरुवार की रात्रि प्रवचन कार्यक्रम के दौरान दो युवक—इंदल मांझी और संतोष मांझी—एक नाबालिग से छेड़खानी करने लगे। किशोरी ने साहस दिखाते हुए परिजनों को इस घटना की जानकारी दी।

जब दादा, 75 वर्षीय कामेश्वर मांझी, आरोपी के घर शिकायत लेकर पहुंचे तो उन पर हमला कर दिया गया। धक्का-मुक्की करते हुए उन्हें बेरहमी से इतना पीटा गया कि वृद्ध की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मुख्य आरोपी इंदल मांझी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, जबकि दूसरे आरोपी की तलाश जारी है।

नवरात्रि और समाज का विडंबनाः
यह घटना ऐसे समय हुई है जब पूरे देश में नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। लोग कन्याओं को देवी मानकर पूज रहे हैं, लेकिन उसी समाज में एक पोती की अस्मिता सुरक्षित नहीं रही। यह विडंबना सोचने पर मजबूर करती है कि क्या बेटी केवल पूजा तक ही सीमित है?

यह घटना प्रशासन ही नहीं बल्कि समाज के लिए है कलंक
एक तरफ सरकार “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा देती है, योजनाएं बनती हैं, वहीं दूसरी तरफ जमीनी हकीकत यह है कि बेटियों की सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाले दादा को ही मौत की सजा भुगतनी पड़ गई। यह घटना न सिर्फ प्रशासन बल्कि पूरे समाज के लिए आईना है।

बेटियों की अस्मिता की रक्षा सिर्फ नारों और पर्वों से नहीं
कामेश्वर मांझी की शहादत याद दिलाती है कि बेटियों की अस्मिता की रक्षा सिर्फ नारों और पर्वों से नहीं होगी, बल्कि सच्ची इंसानियत और सामाजिक साहस से होगी। जब तक हर नागरिक बेटी की सुरक्षा को अपना कर्तव्य नहीं मानेगा, तब तक नवरात्रि की पूजा और सरकारी अभियान अधूरे रहेंगे।


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