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आईआईएम बोधगया के ज्ञानोदय 5.0 में निदेशक ने क्यों कहा पूरी दुनिया केवल तकनीक के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान के लिए आती है भारत, पढ़ें पूरी खबर

समाज, प्रगति और तकनीक में नए परिवर्तन की दिशा पर हुआ मंथन, डिजिटल-प्रथम युग में प्रबंधन और तकनीक की भूमिका पर हुई गहन चर्चा

Report by Nawada News Xpress / नवादा / सूरज कुमार

आईआईएम बोधगया ने 20 सितंबर 2025 को अपने वार्षिक प्रबंधन सम्मेलन ज्ञानोदय 5.0 का आयोजन किया। इस वर्ष की थीम रही – “समाज, प्रगति और तकनीक में नए परिवर्तन की दिशा”। इस अवसर पर उद्योग जगत के दिग्गज, शिक्षाविद और एचआर प्रोफेशनल्स ने डिजिटल-प्रथम दौर में नेतृत्व, प्रबंधन और तकनीक की भूमिका पर गहन चर्चा की।

संस्थान की सामाजिक प्रतिबद्धता

आईआईएम बोधगया की निदेशक डॉ. विनिता एस. सहाय ने उद्घाटन संबोधन में कहा कि संस्थान ने पिछले वर्ष 6,800 से अधिक सूक्ष्म-उद्यमियों को प्रशिक्षण देकर समाज और परिदृश्य में परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा – “दुनिया भारत की ओर केवल तकनीक के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान के लिए आती है।”

पहला सत्र: मानव प्रबंधन और उद्योग-अकादमिक सहयोग

प्रो. विट्टल रंजन एस. की मॉडरेटरशिप में हुए उद्घाटन पैनल में सुधीर शर्मा (हेड-टैलेंट एक्विज़िशन, अडानी ग्रुप), प्रिया रंजन कुमार (वीपी एवं हेड एचआर, जेएसडब्ल्यू स्टील) तथा श्वेता जैन (डायरेक्टर- एचआर, आईसीएफ) ने भाग लिया। पैनलिस्ट्स ने मैनेजर्स के लिए जरूरी कौशल, आधुनिक एचआर प्रथाओं और अकादमिक- उद्योग साझेदारी की व अहमियत पर विचार रखा।

दूसरा सत्र: सतत विकास और लर्निंग की रणनीति

प्रो. मधुमिता दास की मॉडरेटरशिप में हुए सत्र में नवीन पटेल (एटकिन्स रेअलिस), नवीन एलेक्स (ट्रेडेंस इन्कॉरपोरेशन), रोहित जसवाल (कुश्मन एंड वेकफील्ड) तथा देव मणि पांडेय (हिप्पो होम्स) शामिल रहे। इस दौरान सतत व्यवसाय वृद्धि के लिए लर्निंग का महत्व, दीर्घकालिक क्षमताओं का विकास और जिम्मेदार लर्निंग प्रथाओं की भूमिका चर्चा का फोकस रहा।

तीसरा सत्र: एआई और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन

प्रो. सोम्या गुप्ता की मॉडरेटरशिप में हुए पैनल में बृष्टी मंडल (एनआरआई फिनटेककैपजेमिनी इंजीनियरिंग), कैप्टन दिलीप नारायण (ईपीएएम सिस्टम्स) तथा पंकज महेश्वरी (डीएक्ससी टेक्नोलॉजी) शामिल हुए। पैनलिस्ट्स ने एआई को नवाचार और दक्षता का प्रमुख जरिया बताते हुए मानव-एआई सहयोग और नैतिक चुनौतियों पर खास जोर दिया।

चौथा सत्र: मल्टी-जनरेशनल टीमों में नेतृत्व और संस्कृति

प्रो. संजय कौशल के संचालन में सोमित चितरे (स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक), प्रवीण महादेवन (गोल्डमेडल इलेक्ट्रिकल्स) तथा हिमांशु कुमार (डार्विनबॉक्स) ने बहु-पीढ़ी टीमों की जटिलताओं पर चर्चा की। उन्होंने पीढ़ीगत मिथकों को तोड़ते हुए विविध टीमों में संतुलन, समावेशी नेतृत्व और नवाचार को बढ़ावा देने के तरीके सुझाए।

सम्मेलन का समापन

कार्यक्रम का समापन डॉ. मोल्ला रमिज़ुर रहमान (अध्यक्ष, एमबीए डीबीएम) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। बता दें कि ज्ञानोदय 5.0 ने सहानुभूति-प्रधान नेतृत्व, सतत विकास, डिजिटल अनुकूलता और समावेशी व कार्य संस्कृति पर नए दृष्टिकोण प्रस्तुत किये गए।

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