जैन संत श्री विशल्य सागर के 48वें अवतरण पर 48 दीपों का हुआ महाआरती, श्रद्धालुओं ने लगाई भक्ति गंगा में डुबकी, भक्तों को मिला मुनिश्री का मंगल आशीर्वाद
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार

नवादा नगर के अस्पताल रोड स्थित जैन मंदिर में जैन धर्मावलंबियों द्वारा प्रख्यात दिगम्बर जैन संत संप्रति समंतभद्र श्रमण 108 मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज के 48वें अवतरण दिवस को जैन समाज के लोगों ने हर्षाेल्लास के साथ मनाया। इस अवसर श्री दिगम्बर जैन मंदिर परिसर में रविवार को भक्तिमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। परंपरागत धार्मिक वातावरण में आयोजित इस भक्तिमय कार्यक्रम में पूरे विधि-विधान के साथ मुनिश्री की विशेष पूजा-अर्चना और आराधना की गई।

इस मौके पर जैन मुनि विशल्य सागर जी के गुरू विराग सागर जी एवं विषुद्ध सागर जी के चित्र का अनावरण किया गया तथा उनके चित्र के सामने दीपक जलाकर कार्यकम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत जैन समाज की महिलाओं के द्वारा आर्कषक नृत्य एवं मंगलाचरण प्रस्तुत कर किया गया। उसके उपरांत मुनि श्री का पाद प्रछालन किया गया तथा मुनि श्री को शास्त्र में एवं पिच्छी भेंट किया गया।

वहीं जैन संत श्री विषल्य सागर के 48वें अवतरण पर शाम को मंदिर परिसर में 48 दीपों का महाआरती किया गया। इस दौरान राजस्थान के कोटा से आए भक्ति-संगीत मंडली ने मुनिश्री के स्वागत व सम्मान में एक से बढ़कर एक भक्तिमय प्रस्तुति दी। इस आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं ने भक्तिगंगा में खूब डुबकी लगाये। उपस्थित श्रद्धालुओं को मुनिश्री का वात्सल्यपूर्ण अनमोल मंगल आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

इस दौरान मुनिसंघ में शामिल जैन साध्वियों व क्षुल्लकश्री के साथ ही ब्रह्मचारिणी बहन भारती जी व बहन अलका जी का पूरा सानिध्य मिला। बताया गया कि श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्वशांति महायज्ञ का शुभारंभ मंगल कलश के साथ किया गया। जैन महिलाओं ने घटयात्रा निकाली तथा 8 दिवसीय इस सर्व मंगलकारी अनुष्ठान का समापन 19 मई को होना है।

इस दौरान संप्रति समंतभद्र श्रमण 108 मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज की मंगल प्रेरणा से नवादा जिला मुख्यालय स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर के श्री 1008 महा सिद्धिकारक श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्वशांति महायज्ञ महोत्सव का पूरे धार्मिक विधि-विधान के साथ शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर रविवार को प्रातः दिगम्बर जैन मंदिर में जिनेंद्र प्रभु का मंगल अभिषेक व शांति धारा के साथ ही विशेष पूजा-अर्चना की गई।

तत्पश्चात जैन मंदिर से स्थानीय जैन समाज की महिलाओं ने मंगल कलश के साथ घटयात्रा निकाली। घटयात्रा में भारी संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद थे। नगर के प्रमुख मार्गों का परिभ्रमण करने के पश्चात पुनः जैन मंदिर पहुंचकर इस घटयात्रा का समापन हुआ। इसके उपरांत मंदिर में ध्वजारोहण का कार्यक्रम हुआ। मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में पूरे धार्मिक विधि-विधान के साथ श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्वशांति महायज्ञ का शुभारंभ हुआ।

जैन मंदिर परिसर में आयोजित इस परम पावन धार्मिक अनुष्ठान में मुकेश जैन शास्त्री अम्बाह विधानाचार्य के रूप में योगदान दे रहे हैं, जबकि कोटा (राजस्थान) के नवीन जैन की भक्ति-संगीत मंडली भी आयोजन में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। बताया गया कि भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव व युद्ध की विभिषिका को लेकर

आपसी भाईचारे और विश्वशांति एवं प्राणिमात्र के कल्याण के निमित्त 12 मई से शुरू यह परम पावन सर्व मंगलकारी अनुष्ठान आगामी 19 मई तक संचालित होगा। कार्यक्रम के अंत में मुनि जी ने अपने प्रवचन में भगवान महावीर के द्वारा बताये गये सिद्धांतों, तप, त्याग एवं विश्वशांति के बारे में बताया।
