राज्य स्तरीय बैठक में पूरे बिहार के अधिकारियों ने लिया हिस्सा, कहा बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नहीं मिलेगा अधिकार तो शुरू होगा चरणबद्ध आंदोलन, जिसका मिलेगा साथ उसके साथ होंगे बिहार के ठठेरा जाति
गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले 80 प्रतिशत हैं ठठेरा जाति, उसको सरकार बनिया कैटोगरी में शामिल कर किया उपेक्षित, केंद्र से लेकर राज्य तक गुहार लगाकर थक चुके ठठेरा जाति ने आंदोलन का बना लिया मन
Report by Nawada NEWS Xpress
नवादा / सूरज कुमार

देश भर में अल्पसंख्यक की तरह जीवन गुजर बसर कर रहे शिल्पकारी कला में माहिर ठठेरा जाति सरकार से अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने को बाध्य है। बिहार में 80 प्रतिशत ठठेरा जाति के लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। इस जाति का न तो कहीं राजनीतिक सहारा है और ना ही प्रशासनिक सहारा है। शिक्षा के नाम पर यह जाति भले ही निरक्षर है, परंतु कला के मामले में प्राचीन काल से ही पारंगत हासिल किये हुए है। इस जाति के बारे में ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं है, इस जाति को लोग होश सम्भालते ही शिक्षा के पहली सीढ़ी पर जान लेते हैं कि ठ से ठठेरा। क्या है ठठेरा जाति का इतिहास इससे हर कोई वाकिफ है।

ऐसा नहीं है कि सरकार इस जाति से अनजान है, इसके दशा और दिशा पर कोई टीका-टिप्णी करने की जरूरत नहीं है। बावजूद, जब इस जाति को सरकार ने अति पिछड़ा का दर्जा नहीं देकर बनिया कैटोगरी में डाल दिया है, तो इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है। परिस्थिति यह है कि इस जाति का उत्थान होना तो दूर कोई सूध लेने वाला भी नहीं है। इस जाति के कुछ समाजसेवी जब सरकार को अति पिछड़ा में शामिल करने का अर्जी दिया तो उसे भी नजर अंदाज कर दिया गया। साल दर साल बीतता गया, न तो राजनीतिक स्तर पर किसी ने ध्यान दिया और ना ही प्रशासनिक स्तर पर किसी ने इस जाति के उत्थान के प्रति गम्भीरता दिखायी।

हालात ऐसा हो गया कि अब इस जाति के लोगों ने संगठन बनाकर करो या मरो के तर्ज पर आंदोलन शुरू कर दिया है। इस साल होने वाली बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार राज्य ठठेरा संघ के बैनर तले बिहार के ठठेरा जाति को एकजुट कर चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है। करीब 30 लाख आबादी वाले ठठेरा जाति को एकजुट कर आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है। इसको लेकर पिछले दिनों राजधानी के पटना सिटी में राज्य स्तरीय बैैठक आयोजित किया गया। जिसमें बिहार के सभी जिलों से संघ के पदाधिकारी व समाजसेवी शामिल हुए।

प्रदेश अध्यक्ष अनिल सोनी ने कहा ठठेरा जाति के हित की बात करने वाले को मिलेगा साथ
बैठक की अध्यक्षता करते हुए बिहार राज्य ठठेरा संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल सोनी ने कहा कि पिछले पंद्रह वर्षों से बिहार राज्य ठठेरा संघ के तत्वाधान में ठठेरा जाति को अति पिछड़ी श्रेणी में शामिल करने के लिए संगठन संघर्ष करते आ रही है, परंतु किसी भी सरकार का ध्यान हमारे जातियों की ओर नहीं गया है, बल्कि ठठेरा जाति को जनगणना की सूची में बनिया कैटोगरी में रख कर ठठेरा जाति के साथ सरकार के द्वारा अन्याय किया गया है। ठठेरा जाति शिल्पकार कहलाने वाले जाति को जनगणना की सुची में सिंगल कोड में होना चाहिए था, परंतु इसे उपेक्षित किया गया है। अब हमलोग बैठने वाले नहीं हैं, जो हमारी जाति के हित की बात करेगा हमारा समाज उसके साथ होगा।

प्रदेश महामंत्री सत्यनाराण प्रसाद ने कहा पूरे बिहार में होगा आंदोलन
पटना सिटी में आयोजित मैराथन बैठक को सम्बोधित करते हुए बिहार राज्य ठठेरा संघ के प्रदेश महामंत्री सत्यनारायण प्रसाद ने कहा जिस तरह से ठठेरा जाति के प्रति सरकार उदासीन बैठी है, उससे लगता है कि अब आंदोलन तेज करना होगा। बिहार में एनडीए की सरकार है ऐसे में गरीब समुदाय व अल्पसंख्यक जाति के रूप संर्घषरत जीवन जीने वाले इस जाति को लगातार उपेक्षित किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि हालात अब ऐसी हो गई है कि पूरे बिहार में आंदोलन करना होगा। इसके लिए हर जिला मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन कर हम अपनी ताकत का परिचय देंगे। वहीं वक्ताओं ने आगे की आंदोलन को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए गांव-गांव तक ठठेरा जाति को इसके लिए जागरूक करने का फैसला लिया।

अति पिछड़़ा वर्ग में शामिल किये जाने को लेकर क्या-क्या किया गया पहल
बताते चलें कि बिहार राज्य ठठेरा संघ के द्वारा ठठेरा जाति को अति पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के लिए लगातार सरकार का ध्यान आकृष्ठ करते आ रही है। उसमें पिछड़े वर्गों के लिए राज्य आयोग सदस्य सचिव के द्वारा पत्रांक संख्या- 3/2018 के आलोक में सचिव अति पिछड़े वर्गों के लिए राज्य आयोग इसपर स्वीकृति प्रदान करते हुए मूल प्रति संलग्न कर आवश्यक कार्यवाई के लिए 13 जुलाई 2023 को अति पिछड़े वर्गों के लिए राज्य आयोग को भेज दिया गया है, परंतु अति पिछड़े वर्गों के राज्य आयोग के स्तर से अभी तक कोई कार्यवाई नहीं किया गया है। इतना नहीं अति पिछड़े वर्गों के राज्य आयोग से अनुरोध कर ठठेरा जाति को अति पिछड़े वर्गों की श्रेणी में लाने के लिए आयोग गठन कर अपना प्रतिवेदन बिहार सरकार को सौंप दिया है, बावजूद अभी तक सरकार ने कोई पहल नहीं की है। हालांकि, इस संदर्भ में भारत सरकार एवं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के द्वारा पूर्व में लोकसभा में संसद के पटल पर ठठेरा जाति को अति पिछड़े श्रेणी में लाने के लिए प्रश्न उठा चुके हैं।

बावजूद, इस पर सरकार ने गम्भीरता नहीं दिखाया। हालात यह हो गया है कि अब बिहार राज्य ठठेरा संघ ने इस महत्वपूर्ण बैठक में आर-पार की लड़ाई लड़ने को लेकर कमर कस लिया है। मौके पर प्रदेश प्रदेश कोषाध्यक्ष सुरेश प्रसाद, प्रदेश संगठन मंत्री हरेंद्र आर्य, प्रदेश उपाध्यक्ष शिव कुमार उर्फ पप्पू भाई, प्रदेश उपाध्यक्ष अमरदीप सोनी, प्रदेश उपाध्यक्ष बलराम कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष पवन कुमार, प्रदेश संगठन मंत्री अनिल राज, प्रदेश संगठन मंत्री भोलू कुमार, प्रदेश युवा अध्यक्ष देव कुमार, सच्चिदानंद लाल, समाजसेवी निर्धन प्रसाद, फकीरा शाह, प्रदेश उपाध्यक्ष बबलू जी गया, मनोज कुमार गया, प्रदेश मीडिया प्रभारी गोपाल प्रसाद, प्रदेश मीडिया प्रभारी पत्रकार सूरज कुमार नवादा, नवादा जिलाध्यक्ष सत्येंद्र प्रसाद आर्य, रवि कुमार धमौल नवादा, अर्जुन प्रसाद खगड़िया, पटना जिलाध्यक्ष संजय कुमार उर्फ मलूकान जी, सुंदर ठठेरा, भोला ठठेरा, उमेश प्रसाद, संतोष कुमार साहू, राजू कुमार तथा अवधेश शाह सहित सैकड़ों स्वजातीय बंधु मौजूद थे।
