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डेढ़ दशक बाद भी 26/11 का नहीं गया टीस, पीड़ितों ने क्यों किया मास्टरमाईंड हाफिज सईद को फांसी पर चढ़ाने की मांग, पढ़ें पूरी खबर 

मुम्बई विस्फोट में मारे गये लोगों के परिजनों ने कहा उस खौफनाक मंजर को याद कर आज भी सिहर जाती हैं रूह, मुम्बई हमले में रजौली के आधा दर्जन लोगों की गयी थी जान
बम ब्लास्ट में शहीद हुए लोगों के परिजनों ने कहा अपनों से बिछड़ने का गम हर साल हो जाता है ताजा

Report by Nawada News Xpress 

नवादा / सूरज कुमार 

मुम्बई में 26/11 के आतंकी हमले को आज पूरे 16 साल बीत गए हैं, लेकिन इतने सालों बाद भी उस हमले की काली यादें आज भी उन लोगों की जेहन के लिए टीस बनी है, जिन्होंने 26 नवंबर 2008 का वो काला मंजर अपनी आखों से देखा था। लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने वाले 10 आतंकियों ने उस दिन पाकिस्तान से आकर भारत की मायानगरी मुंबई को दहला दिया था। इस हमले में करीब 166 लोग शहीद हुए थे, जिसमें नवादा जिले के छह लोग भी शामिल थे। ये भयानक और दुखद घटना आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है।

इस हमले में शामिल आतंकी अजमल कसाब को तो फांसी दे दी गई है, लेकिन लोग इस पूरी वारदात के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को फांसी पर लटकते हुए देखना चाहते हैं। उन लोगों ने जिन्होंने अपनी आंखों से मुंबई हमला देखा था, जिन लोगों ने आतंकियों की गोलियां झेली थी, वे लोग इस हमले की 16वीं बरसी पर भारत सरकार से यही मांग कर रहे हैं कि मास्टरमाइंड को भी फांसी पर लटकाया जाय। इस घटना में शहीद हुए लोगों के परिजनों का कहना है कि भले ही कसाब को फांसी हो गई हो, लेकिन ये पूरा इंसाफ नहीं है और इंसाफ तब तक नहीं मिलेगा जब तक मुंबई में बैठा 26/11 का मास्टरमाइंड हाफिज सईद फांसी पर नहीं चढ़ जाता।

नवादा के छह लोग हुए थे शहीद, पीड़ितों ने मास्टरमाईंट हाफिज सईद को फांसी पर चढाने का किया मांग
26 नवम्बर 2008 को मुंबई के ताज होटल सहित हुई सिरियल बम ब्लास्ट में रजौली क्षेत्र के छह लोगों की मौत हो गयी थी। इनके परिजनों ने सरकार से मांग किया कि मास्टरमाईंड हाफिज सईद को फांसी देने के बाद ही इसका टीस कम होगा। नवादा जिले के शहीद होने वालों में सिरदला थाना क्षेत्र के ढांव गांव निवासी साहिब अली के 50 वर्षीय पुत्र मो इलियास अंसारी व भतीजा सरफराज अंसारी, मुर्तजा अंसारी व शेरपुर गांव के आरिफ अंसारी, रजौली के मननपुर गांव निवासी बहनोई अब्बास अंसारी व उसकी पत्नी शकीला अंसारी शामिल थे।

आतंकी हमले में शहीद होने के बाद उनके परिजनों को सरकार ने मुआवजा के तौर पर 15-15 लाख रुपये तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के बाद आज भी आश्रितों का दुःख दर्द कम नहीं हुआ है। इलियास अंसारी की विधवा पत्नी शकीला खातून ने बताया कि आतंकी हमले में पति की मौत के बाद देवर इस्माइल को सरकार ने रेलवे में नौकरी दी है। पीड़ित परिजन बताते हैं कि इस मामले में एक आरोपित अजमल कसाब को अदालत ने फांसी तो दे दी है, लेकिन जब तक मास्टरमाईंड हाफिज सईद को फांसी पर नहीं चढया जाता है तब तक इस घटना का टीस हर साल ताजा होता रहेगा।

क्या था मुम्बई बम ब्लास्ट की पूरी घटना
मायानगरी के रूप में जाने जानेवाले मुम्बई की वह काली रात आज भी शायद किसी ने नहीं भूला होगा, जब सीमा पार से आये दहशतगर्दाे ने अपनी रफ़्तार में चल रही मुंबई में तांडव मचा दिया था। इस घटना में करीब 160 लोगों की मौत हो गयी थी, जबकि 300 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे, जी हां, वह दिन था 26 नवम्बर 2008 की रात। दरअसल, हमले से तीन दिन पहले यानी 23 नवम्बर को करांची से समुद्री रास्ते से एक नाव के द्वारा ये आतंकी मुम्बई पहुंचे थे। जिस नाव से आतंकी भारत आए थे, उसपर सवार चार भारतीयों को मौत के घाट उतारकर उस पर कब्जा जमा लिया था।

रात्रि करीब 8 बजे आतंकियों ने कोलाबा के पास कफ परेड के मछली बाजार पर उतरे थे, वहां से सभी आतंकी चार समूहों में बंट गए और टैक्सी लेकर सभी आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए अपनी-अपनी मंजिलों की ओर बढ़ गए थे। बताया जाता है कि जब ये आतंकी मछली बाजार में उतरे तो इन्हें देखकर वहां के मछुआरों को शक भी हुआ था। जानकारी अनुसार मछुआरों ने इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस के पास भी पहुंचाई थी, लेकिन पुलिस ने इस पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया। इसी दिन मुम्बई पुलिस को रात्रि करीब 9.30 बजे छत्रपति शिवाजी रेलवे टर्मिनल पर गोलीबारी की खबर मिली। बताया गया कि यहां रेलवे स्टेशन के मुख्य हॉल में दो हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी की है। इसके बाद दक्षिणी मुंबई के लियोपोल्ट कैफे में भी दहशतगर्दों ने गोलीबारी की, जिसमें 10 लोग मारे गए। इसमें कई विदेशी भी शामिल थे। इसी दिन रात्रि करीब 10.30 बजे खबर आई कि विले पारले इलाके में एक टैक्सी को बम से उड़ा दिया गया है, जिसमें ड्राइवर और एक यात्री मारा गया है।

इससे करीब 15-20 मिनट पहले बोरीबंदर से भी इसी तरह के धमाके की खबर मिली थी, जिसमें एक टैक्सी ड्राइवर और दो यात्रियों की मौत होने की जानकारी मिली थी। इन हमलों में लगभग 15 लोग घायल हुए थे। हमलों का सिलसिला यहीं नहीं रुका। 26/11 के तीन बड़े मोर्चों में मुम्बई का ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस शामिल था। जब हमला हुआ तो ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे। इस घटना में दिन-रात चलने वाली मुम्बई की रफ़्तार जहां थम गयी थी, वहीं पूरी दुनिया के देशों ने आतंकवाद का जमकर विरोध किया था। हालांकि 29 नवंबर 2008 की सुबह तक नौ हमलावर आतंकियों का सफाया हो चुका था और अजमल कसाब के तौर पर एक हमलावर पुलिस की गिरफ्त में था, जिसे बाद में फांसी दे दी गयी। इस घटना का डेढ़ दशक बीत चुका है, लेकिन इसकी टीस आज भी बनी हुई है। इतिहास के पन्नों में यह काला अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है, जिसका खौफनाक मंजर हर मरने वालों के परिजनों को प्रत्येक वर्ष अपनों के खोने की टीस देता है।

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