समाहरणालय के सभागार में डीएम ने पत्रकारों को गुलाब का फूल देकर किया सम्मानित, जिले की समस्याओं से डीएम रवि प्रकाश हुए अवगत
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार

नवादा में शनिवार को समाहरणालय स्थित सभागार में डीएम रवि प्रकाश की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत पत्रकारों से परिचय प्राप्त कर तथा स्वागत गीत के साथ किया गया। उन्होंने प्रेस दिवस के अवसर पर सभी पत्रकारों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज का दिन भारतीय प्रेस परिषद के प्रयासों और स्वतंत्र पत्रकारिता के महत्व को भी उजागर करता है।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस न सिर्फ पत्रकारिता के योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि मीडिया के नैतिक दायित्वों और स्वतंत्रता के महत्व पर विचार करने का अवसर भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यह दिन पत्रकारिता के प्रति ईमानदारी, जिम्मेदारी और नैतिक रिपोर्टिंग के प्रति प्रेस की प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस पत्रकारिता की भूमिका को न सिर्फ एक सूचना के माध्यम के रूप में, बल्कि एक सशक्त लोकतंत्र के आधारभूत तत्व के रूप में उजागर करता है।

पत्रकारों ने जिले की जन समस्याओं से डीएम को कराया अवगत
प्रेस दिवस पर उपस्थित पत्रकारों ने जिले की जन समस्याओं से डीएम को अवगत कराया। पत्रकारों ने कहा कि यह दिन प्रेस की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है, जो जनता की राय को आकार देने, विकास को प्रोत्साहन देने और सत्ता को जवाबदेह बनाने में अहम भूमिका निभाता है।

यह विकास का एक शक्तिशाली उपकरण है और इसके लिए जरूरी है कि प्रेस पूर्वाग्रह से मुक्त होकर काम करे और जनता को सूचित व शिक्षित करने के अपने कर्तव्य को निभाए। मीडिया कर्मियों ने बताया कि ये दिन इसी बात के महत्व को प्रतिपादित करने के लिए समर्पित है। बीते समय में, मीडिया ने लाखों लोगों के हितों की रक्षा करने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाई है। प्रेस के इस महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करने के लिए हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है।

यह दिन समाज में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की भूमिका को रेखांकित करता है, जो एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है। मंच संचालन विजय शंकर पाठक ने किया। मौके पर अपर समाहर्ता चन्द्रशेखर आजाद, प्रभारी डीपीआरओ विवेक केसरी, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी संजय कुमार, गोपनीय प्रभारी राजीव कुमार, सूचना विभाग के सहायक शशि कुमार, डाटा ऑपरेटर रजनी कुमारी तथा कार्यपालक सहायक कमलेश कुमार सहित कई ब्यूरो व पत्रकार मौजूद थे।

जानें राष्ट्रीय प्रेस दिवस, इतिहास और महत्व
राष्ट्रीय प्रेस दिवस हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत में भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना और प्रेस की स्वतंत्रता को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। साल 1956 में पहले प्रेस आयोग ने पत्रकारिता में नैतिकता और जिम्मेदारी बनाए रखने के लिए एक वैधानिक निकाय स्थापित करने की सिफारिश की थी। इसका उद्देश्य प्रेस समुदाय और समाज के बीच संवाद स्थापित करना और विवादों में मध्यस्थता करना था।

परिणामस्वरूप 4 जुलाई 1966 को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना हुई। परिषद ने औपचारिक रूप से 16 नवंबर, 1966 से अपना कार्य प्रारंभ किया और इसीलिए इस दिन को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज का दिन स्वतंत्रता संग्राम में पत्रकारिता के योगदान और आज़ादी के बाद लोकतंत्र की रक्षा में उसकी भूमिका को याद दिलाता है। यह दिन प्रेस को जिम्मेदार, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने का आह्वान करता है।

क्या है राष्ट्रीय प्रेस दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय प्रेस दिवस स्वतंत्र, निष्पक्ष और जिम्मेदार प्रेस के महत्व को रेखांकित करता है। लोकतंत्र में मीडिया को “चैथा स्तंभ” माना जाता है, जो जनता को शिक्षित करने, सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने और विभिन्न विचारों को मंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वतंत्र प्रेस सरकार और अन्य संस्थानों को जवाबदेह ठहराकर सार्वजनिक मामलों में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।

इस दिन मीडिया से संबंधित चुनौतियों और बदलते स्वरूप पर चर्चा करने के लिए कई स्थानों पर सेमिनार और गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। पिछले कुछ समय में इन चर्चाओं में फेक न्यूज़, गलत सूचनाएं और सेंसरशिप जैसी समस्याओं से निपटने के उपायों पर भी विचार किया जाता है, साथ ही पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को उनके नैतिक दायित्वों और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के महत्व की याद दिलाई जाती है।

यह दिन न सिर्फ समाज में मीडिया की भूमिका का उत्सव है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता के साथ आने वाली जिम्मेदारियों पर चिंतन का अवसर भी है। भारतीय प्रेस परिषद और पत्रकारों के योगदान को मान्यता देते हुए, यह दिन एक स्वस्थ और प्रभावी लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस की अनिवार्यता को सुदृढ़ करता है।
