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छऊ नृत्य के द्वारा मॉडर्न के विद्यार्थियों ने ऐसे देखा महिषासुर का वध, उत्साह से झूम उठे बच्चे, पढ़ें पूरी खबर

नवरात्रि के पावन अवसर पर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले का प्रसिद्ध लोक नृत्य छऊ की प्रस्तुति देकर कलाकारों ने मोह लिया सबका मन 

Report by Nawada News Xpress 

नवादा / सूरज कुमार 

मॉडर्न शैक्षिणक समूह नवादा के द्वारा संचालित मॉडर्न इंगलिश स्कूल नवादा के बहुउद्देशीय सभागार में नवरात्रि के पावन अवसर पर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले का प्रसिद्ध लोक नृत्य छऊ की प्रस्तुति दी गई। आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ किरण सेठ के द्वारा संचालित स्पीक मेके संस्था के द्वारा इस कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई।

यह संस्था भारतीय सभ्यता संस्कृति की मूल नृत्य, संगीत विद्या से आज की नई पीढ़ी को जगाने और दिखाने का कार्य कर रही है।कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत सभी कलाकारों को पुष्प गुच्छ एवं शाल देकर मॉडर्न शैक्षिणक समूह के निदेशक डॉ अनुज सिंह एवं विद्यालय के प्राचार्य गोपाल चरण दास के द्वारा किया गया।

पुनः पुरुलिया से आए हुए कलाकारों ने टीम का नेतृत्व कर रहे तमल कांति रजक के निर्देशन में लगभग  पंद्रह कलाकारों के दल ने प्रसिद्ध लोक नृत्य छऊ के द्वारा मां दुर्गा एवं राक्षस राज महिषासुर के बीच हुई लड़ाई को संक्षिप्त रूप से कला के माध्यम से दिखाया गया।

कलाकारों के द्वारा महिषासुरवध के साथ रक्तबीज वध को भी जीवंत प्रदर्शन किया गया। कलाकारों ने सबसे पहले मां दुर्गा के नौ रूप को दिखाकर वंदना के साथ कार्यक्रम आरंभ किया, फिर असत्य के प्रतीक महिषासुर राक्षस एवं माता रानी के बीच हुए संवाद को भी रोमांचित ढंग से बच्चों के बीच प्रस्तुति की गई।

शेर की दहाड़ सुनकर बच्चों के बीच भय का माहौल कुछ देर के लिए हो गया। लगभग दो घंटे तक कलाकारों के दल ने अपनी प्रस्तुति दिया और अंत में मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस को मारकर धर्म की विजय कराई। इस अवसर पर मॉडर्न शैक्षिणक समूह के निदेशक डॉ अनुज ने कहा कि

इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन से बच्चों को विलुप्त हो रहे संस्कृति से पुनः जोड़ने का अवसर प्राप्त होता है। आज मॉडर्न अपने बच्चों को स्पीक मैके के साथ मिलकर विलुप्त हो रहे भारतीय संस्कृति, सभ्यता आदि से अपने बच्चों को जोड़ने का प्रयास कर रहा है।

इससे बच्चों का केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि मानसिक एवं बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। सभी बच्चे महिषासुर वध देखने के बाद रोमांचित हो उठे थे। छोटे-छोटे बच्चे शेर की दहाड़ सुनकर रोना शुरू कर दिये थे।

अंत में सभी कलाकारों को विद्यालय के द्वारा सम्मानित भी किया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में उपप्राचार्य सुजय कुमार, समीर सौरभ, चंद्रदीप प्रसाद, अंजना दीक्षित, अनुमेहा कुमारी, पवन कुमार तथा पुरुषोत्तम कुमार आदि शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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