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अब नये लुक में ईको-पर्यटन स्थल के रुप में पर्यटकों को ऐसे लुभायेगा ककोलत जलप्रपात, सीएम ने किया उद्घाटन, क्या होगा खास, पढ़ें पूरी खबर 

सीएम के उद्घाटन बाद आम नागरिक उठा सकेंगे लुफ्त, 14.95 करोड़ की लागत से ककोलत जलप्रपात की सुंदरता में आया अद्भुत निखार

Report by Nawada News Xpress 

नवादा / सूरज कुमार 

नवादा के ककोलत को नये स्वरुप में परोसने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को उद्घाटन करने ककोलत पहुंचे। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सीएम ने ककोलत के वादियों का अवलोकन कर इसका लोकार्पण किया। नवादा जिले का भौगोलिक पटल प्राकृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध मनोरम है। गोविन्दपुर प्रखंड के एकतारा जंगल में मनोरम पहाड़ियों के बीच ककोलत जल प्रपात प्राकृतिक का अद्भुत उपहार है। प्रकृति की गोद में अवस्थित यह जलप्रपात अपनी शीतलता और नैसर्गिक सौन्दर्य से बरबस ही किसी को भी आकर्षित कर लेता है।

उंची पहाड़ियों और घने वन के बीच कल-कल करके बहती झरने का मधुर संगीत पर्यटकों का मन मोह लेता है। ककोलत जलप्रपात का नैसर्गिक जलप्रपात, हरे-भरे जंगल तथा शिलाखंड बिहार प्रान्त में कश्मीर की वादियों का एहसास कराती है। पौराणिक एवं ऐतिहासिक रूप से यह जिला अति प्राचीन धरोहरों को अपने सदियों से समेटे हुए है। ककोलत, जिसे गंगा के मैदानी क्षेत्र का कश्मीर कहा जाता है,

इसके झरने की धार से कई मीटर दूर रहने पर भी शीतलता की अनुभूति होने लगती है और प्रचंड गर्मी में भी उसके झरने के नीचे पहुंचते ही ठंड का सुखद एहसास होता है। हजारीबाग की पर्वतमाला के मध्य नवादा जिले की सीमा के अन्दर लोहदंड पर्वतमाला के 160 फीट से भी लगभग कुछ अधिक उत्तुंग शिखर से सीढ़ी-दर-सीढ़ी करके लोहबर नदी एक झरने के रूप में नीचे आती है और पर्यटकों व स्नानर्थियों को लुभाती एवं आकर्षित करती है।

किवंदती है कि ककोलत जलप्रपात के जल में पका किसी भी तरह का गरिष्ठ भोजन करने के बाद इसका जल पी लिया जाय तो वह अतिशीघ्र पच जाता है और भूख जग जाती है। इस प्राकृतिक एवं वैज्ञानिक स्थल तक पहुंचने के लिए बख्तियारपुर-रजौली NH- 20 पर फतेहपुर मोड़ से अकबरपुर-गोविन्दपुर मार्ग में स्थित थाली नामक स्थान से लगभग 5 किलोमीटर दक्षिण की ओर जाने पर नवादा जिले का गौरव व सुप्रसिद्ध एवं सुरम्य ककोलत जलप्रपात समाने ही दिखता है।

क्या है पौराणिक गाथा 

माना जाता है कि नवादा जिला में स्थित सीतामढ़ी में जन्में लव व कुश के लिए यह स्थान क्रीड़ा-स्थल तो था ही, पंडावों ने भी अपने अज्ञातवास का कुछ समय यहीं बिताया था। इतना ही नहीं श्रीकृष्ण की प्रेरणा से द्रौपदी ने छठ व्रत कर इसी की जलधारा में सूर्य को अर्घ्य देकर एक राजा को सर्पयोनी से मुक्ति दिलायी थी, तब से इसमें स्नान कर सर्पयोनि से मुक्ति पाने की अवधारणा आज भी कायम है। इसी कारण दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग इस झरने में स्नान करने आते हैं। वैशाख और चैत्र संक्रांति के अवसर पर विशुआ मेला का आयोजन हर साल होता है। इस मेले से ही  ककोलत आने की औपचारिक शुरुआत हो जाता है, क्योंकि यह गर्मियों की शुरूआत में मनाया जाता है।

मनमोहक इस वन क्षेत्र में रहते हैं कई प्रकार के वन्यजीव

एकतारा सुरक्षित वन में स्थित ककोलत जलप्रपात अपने क्षेत्राधिकार में अनेकों वृक्षों एवं वन्यजीव को आश्रय प्रदान करता है। यह वन नम पर्णपाती वन है, जहां गर्मीयों में भी वन हरा-भरा देखने को मिलता है। यह वन क्षेत्र अपनी जैवविविधता के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसमें वृक्षों में मुख्य प्रजाति सखुआ, महुआ, परमी, गुल्लर, बरगद, पीपल, खैर, पियार, पाकड़, बेल, बैर तथा आसन आदि है। वन्यजीव में भालू, हिरण, सांभर, जंगली सूअर, साहिल, मोर, बंदर तथा लंगूर आदि पाये जाते हैं।

ऐसे हुई परियोजना की शुरूआत

27 मई 2022 को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ककोलत यात्रा के दौरान ईको टूरिज्म को लेकर विकास कार्यों का यथा शीघ्र प्रारंभ करने के लिए निर्देशित किया था। पूर्व में इस स्थल पर पर्यटन अव्यवस्थित तरीके से चल रहा था। गर्मियों के समय प्रतिदिन लगभग 5 हजार पर्यटक यहां आते थे तथा छु‌ट्टियों के दिन लगभग 12 से 15 हजार लोग यहां जलप्रपात का आनंद लेने आते थे। अव्यवस्थित पर्यटन के कारण प्रायः यहां अप्रिय घटनाएं घटित होते रहता था तथा मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण पर्यटकों को काफी परेशानी होती थी। इन सब असुविधाओं को देखते हुए ककोलत जलप्रपात के विकास को लेकर परियोजना तैयार की गई।

ककोलत जलप्रपात के ईको-पर्यटन विकास कार्य फेज-1 में क्या हुआ कार्य 

ककोलत जलप्रपात परियोजना फेज-1 की स्वीकृति 4 फरवरी 2023 को 14.95 करोड़ रूपये की मिली, जिसे दो वित्तीय वर्ष वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में किया जाना था। प्रथम फेज परियोजना का कार्य पूर्ण हो चुका है, जिसमें कुंड का निर्माण, जल कुंड क्षेत्र का जीर्णोद्धार, चट्टान स्थिरीकरण कार्य के अलावा बुनियादी सुविधाओं का निर्माण, जैसे- चेन्जिंग रूम, शौचालय, गजेबो, व्यू पॉइंट क्षेत्र, जल उपचार संयंत्र, पार्किंग सुविधाएं, क्लोक रूम, विद्युतीकरण व्यवस्था, बच्चों और वृद्धों के लिए जलप्रपात के निचले हिस्से में प्राकृतिक पत्थर कुंड का निर्माण, प्रशासनिक ब्लॉक, स्टाफ डॉर्मिटोरी, वन विश्रामागार तथा अन्य संरक्षण संरचनाओं का निर्माण शामिल है।

फेज- 2 में क्या-क्या होगा विकास कार्य 

फेज- 2 के लिए परियोजना की स्वीकृति 16 मार्च 2024 को हुआ, जिसमें 6.76 करोड़ राशि से सीधी सुदृढ़ीकरण का कार्य, रेलिंग का कार्य पूर्ण होने के कगार पर है। उसके अतिरिक्त चिल्ड्रेन पार्क, वेंडिंग जोन अन्तर्गत 60 दुकानों का निर्माण, लकड़ी का पूल, घेरान का कार्य, सुरक्षा दीवार आदि कार्य प्रगति पर है। बता दें कि ककोलत को अत्याधुनिक तौर पर विकसित और सौंदर्यकरण किया गया है। नवादा वासियों को प्राप्त प्राकृति का अनुपम ककोलत जलप्रपात अब पूर्व से अधिक सुगम, सुरक्षित और सुन्दर बन गया है, जो पर्यटकों के लिए अत्याधिक आनन्द प्रदायी और आकर्षण का केन्द्र बन गया है। 

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