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स्थानांतरण के बाद भी नवादा के सहायक निदेशक खान क्यों डटे हैं नवादा में, 30 जून को हुआ था तबादला, पढ़ें पूरी खबर 

स्थानांतरित पदाधिकारी का नवादा से नहीं हो रहा मोह भंग, नवादा के नये सहायक खान निदेशक बने प्रत्यय अमन 

हिसुआ से पकड़े गए अंतर जिला बालू माफिया गिरोह का कहीं विभागीय संरक्षण तो नहीं मिल रहा था, पुलिस की तरह क्यों नहीं कार्रवाई कर रही विभाग, जांच के बाद हो सकता है खुलासा   

Report by Nawada News Xpress 

नवादा / सूरज कुमार 

नवादा में खनन विभाग के सहायक निदेशक खान मुकेश कुमार का तबादला नालंदा जिला हो चूका है, साथ ही अतिरिक्त प्रभार शेखपुरा जिला मिला है। यह स्थानांतरण 30 जून को हुआ है, जिसको लेकर विभाग ने उक्त तिथि को पत्र जारी कर चुका है।

वहीं नवादा जिले के लिए पूर्णिया के खनन पदाधिकारी प्रत्यय अमन को पदभार सौंपा गया है। लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि अभी तक नवादा के सहायक निदेशक खान मुकेश कुमार इसी जिले में कुंडली मारे बैठे हैं। उधर, पूर्णिया से स्थानांतरित हुए प्रत्यय अमन भी अपना पदभार ग्रहण करने नहीं पहुंचे हैं।

दोनों पदाधिकारियों का स्थानांतरण हुए छह दिन बीत चुके हैं, बावजूद अपने-अपने जिलों से मोह भंग नहीं हो रहा है। इधर, नवादा के सहायक निदेशक खान मुकेश कुमार की बात करें तो इनके कार्यकाल में नवादा जिले में नदी से बालू उठाव पर रोक लग चूका है। ऐसे में जिलेवासियों को बालू आपूर्ति के लिए स्टॉक प्वाईंट बनाया गया है।

परंतु दुर्भाग्य यह है कि अभी तक जिले में बनाये गए स्टॉक प्वाईंट का डिटेल आम जनता के बीच सार्वजनिक नहीं किया गया है। इतना ही नहीं स्टॉक प्वाईंट के नाम पर विभागीय संरक्षण के तहत खुलकर लूट मची है। गौरतलब हो कि हिसुआ में जिस तरह से पुलिस ने कार्रवाई कर अंतर जिला बालू माफिया गिरोह का उजागर किया है, उसमें कहीं न कहीं विभागीय संरक्षण होने की चर्चा है।

एक तरफ पुलिस अवैध बालू खनन को लेकर कार्रवाई करने में जुटी है तो दूसरी तरफ विभागीय अधिकारी कार्रवाई के नाम पर कुंडली मारे बैठे हैं। इससे यह साफ होता है कि जिले में बालू माफियाओं को विभागीय संरक्षण प्राप्त है। यही वजह है कि सहायक निदेशक खान मुकेश कुमार स्थानांतरण के बाद भी इसी जिले में डटे हैं। इनका पुराना इतिहास देखा जाय तो इनपर निलंबन की कार्रवाई भी हो चुकी है। 

स्टॉक प्वाइंट पर कम बालू संग्रह से बालू माफिया हुआ सक्रिय 

बता दें कि नवादा में बालू के अवैध उत्खनन के पीछे खनन विभाग का बड़ा हाथ है। जिस तरह से जिले में बालू उठाव पर चार माह का रोक लगाया गया है, उस स्तर से बालू संग्रह नहीं किया गया है। विभाग के पास जितना स्टॉक प्वाइंट का आंकड़ा है वह उंट के मुंह में जीरा का फोरन है।

नदी से बालू उठाव पर रोक से दो दिन पूर्व 13 जून तक खनन विभाग के पास बालू स्टॉक का जो आंकड़ा था वह चौंकाने वाला था, उस वक्त जिले के स्टॉक प्वाइंट पर मात्र 2 लाख 85 हजार एमटी ही बालू स्टॉक था। जबकि स्टॉक प्वाइंट की जांच की जाय तो खनन विभाग के काले कारनामों का पर्दाफाश हो सकता है।

फिलवक्त बालू माफिया अवैध बालू उठाव के लिए विभाग और पुलिस से बेखौफ है, जो अगले चार माह तक पुलिस और विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहेगा।

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