विश्व रक्तदान दिवस पर सम्मानित हुए जीतेन्द्र प्रताप जीतू अब तक कर चुके हैं रिकॉर्ड 68 बार रक्तदान
जीतू ने युवाओं को किया प्रेरित, बनाया रक्तवीरों का टीम, कहा रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं
सदर अस्पताल में उपाधीक्षक डॉ एसडी अरैय्यर के नेतृत्व में लगा विश्व रक्तदान शिविर
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार
नवादा में विश्व रक्तदान दिवस को लेकर जिले के सबसे बड़े रक्तवीर छत्रपति शिवाजी सेवा संस्थान के सचिव जीतेन्द्र प्रताप जीतू को सम्मानित किया गया।

शुक्रवार को सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में रक्तदान शिविर का आयोजन छत्रपति शिवाजी सेवा संस्थान के द्वारा उपाधीक्षक डॉ एसडी अरैय्यर के नेतृत्व में किया गया। इस शिविर में चार युवाओं ने रक्तदान किया,

जिसमें रक्त वीर विकास कुमार, बाल गोपाल, रवि कुमार तथा सोनल कुमार माथुर ने स्वेच्छा से रक्तदान किया। साथ ही उक्त चारो रक्तवीरों ने हर 3 महीने पर रक्तदान करने का संकल्प भी लिया। इस दौरान सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एसडी अरैय्यर,

ब्लड बैंक के नोडल पदाधिकारी अमन कुमार तथा नीलम कुमारी के द्वारा संस्थान के सचिव जितेंद्र प्रताप जीतू को एक साल में चार बार ब्लड डोनेट करने के लिए सम्मानित किया। सम्मानित हुए जितेंद्र प्रताप जीतू ने युवाओं से अपील किया कि आप रक्तदान करें। आपके रक्त से किसी का जीवन बचता है।

उन्होंने बताया कि रक्तवीर सौरभ सिन्हा ने अब तक 40 बार रक्तदान, प्रभात कुमार ने अब तक 20 बार से ज्यादा रक्तदान, बाल गोपाल 20 बार रक्तदान कर चुके हैं। वहीं जितेंद्र प्रताप जीतू की बात करें तो अपने उम्र से डेढ़ गुणा रक्तदान कर चुके हैं, श्री जीतू अब तक रिकॉर्ड 68 बार रक्तदान कर चुके हैं।

हर साल 14 जून को मनाया जाता है रक्तदान दिवस
विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को पूरे दुनिया में मनाया जाता है। इस वैश्विक आयोजन का उद्देश्य रक्तदान के महत्व और आपात स्थिति के दौरान सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

विश्व रक्तदाता दिवस पहली बार 2004 में मनाया गया था। इस दिन का उपयोग जीवन बचाने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में रक्तदाताओं के योगदान को पहचानने के अवसर के रूप में भी किया जाता है। इस वर्ष विश्व रक्तदाता दिवस अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। इसलिए, इस वर्ष का थीम है ‘दान के उत्सव के 20 वर्ष: रक्तदाताओं का धन्यवाद।

रक्तदान के इतिहास की बात करें तो साल 1940 में रिचर्ड लोअर नामक एक वैज्ञानिक ने दो कुत्तों के बीच बिना किसी दुष्प्रभाव के रक्त चढ़ाने का परीक्षण किया था। इस सफलता ने आधुनिक रक्त चढ़ाने की तकनीकों के विकास को संभव बनाया और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में रक्तदान और इसे जमा करने को एक नियमित प्रक्रिया बना दिया।

उसके बाद लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने लगे, लेकिन वर्ष 2004 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तब से, यह दिन हर साल मनाया जाने लगा है।
