बगैर पुरूषों की सहभागिता से महिलाएं करती हैं पूजा और विसर्जन, नूतन उदया फाउंडेशन की महिलाओं ने सरस्वती पूजा में महिला पंडित से कराया पूजा
परम्पराओं को बदलकर महिलाओं ने साबित कर दिया कि हर मामले में महिलाएं पुरूषों से कम नहीं, पूजा में शामिल महिलाओं ने कहा घर के परिवारों का मिला प्रोत्साहन
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार
पुरूष प्रधान समाज में महिलाएं अब जागरूक हो गई हैं। हर क्षेत्र में पुरूषों से कंधा से कंधा मिलाकर चलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं। यही वजह है कि कई क्षेत्रों में महिलाएं मिसाल बनकर इतिहास रचने का काम कर रही हैं।

इसी कड़ी में बुधवार को सरस्वती पूजा को लेकर एक अलग तरह का पूजा देखने को मिला, जिसमें बगैर पुरूषों की सहभागिता के ही महिलाओं ने धूम-धाम से सरस्वती पूजा का आयोजन किया। यहां एक भी पुरूष पूजा में शामिल नहीं थे। एक तरफ महिला पंडित चंचला शर्मा के मंत्रोच्चार की गूंज, तो दूसरी तरफ पूजा पर बैठी महिलाएं भक्ति-भाव में लीन दिख रही थी।

प्रसाद खाने के लिए किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं दिखा, महिलाएं हर वर्ग के लोगों को प्रसाद दे रही थी। नगर के पुरानी कचहरी रोड स्थित महावीर मार्केट में बसंत पंचमी उत्सव और मां सरस्वती की पूजा का उत्साह देखते बन रहा था। यहां महिलाओं की नूतन उदया फाउंडेशन के माध्यम से सरस्वती पूजा का आयोजन किया गया था।

सुबह से ही महिलाओं के भक्ति गीत पूरे वातावरण को भक्तिमय कर रहा था। इन महिलाओं की भक्ति गीत हर किसी को प्रभावित कर रहा था। इस तरह की पूजा देखकर लोग काफी अचम्भित हो रहे थे। कहा जाता है कि जब भी किसी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है तो महिलाओं के साथ-साथ पुरूष भी शामिल होते हैं, परंतु विद्या की देवी की पूजा में महिलाओं ने इस परम्परा को ही बदल दिया।

बेटियों व महिलाओं को आत्म निर्भर के लिए महिलाओं ने किया पूजा
महिला सशक्तिकरण को लेकर शहर की कुछ महिलाओं द्वारा पिछले पांच सालों से संचालित हो रही नूतन उदया फाउंडेशन की स्थापना सरस्वती पूजा के दिन ही किया गया था, जिसका एक मात्र उद्देश्य है कि हरवैसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर स्वाबलम्बी बनाया जाय, जो पुरूष प्रधान समाज में अपने दम पर कुछ करने की जज्बा रखती हैं।

इसके संस्थापक प्रगति श्रीवास्तव बताती हैं कि इस संस्थान से शहर की दर्जनों महिलाएं जुड़ी हैं और उनके अंदर अपना कुछ करने का नया जागृति पैदा हुआ है। पूजा में दर्जनों महिलाएं उत्साह पूर्वक शामिल हुई थी। बताया गया कि महिलाओं के द्वारा ही प्रतिमा विर्सजन धूम-धाम से नगर के शोभनाथ मंदिर तालाब में किया जायगा।

मौके पर नूतन बिहारी, आदिति गोयल, राखी बरनवाल, राखी गुप्ता, रिंकी बरनवाल, रूपाली कुमारी, ममता कुमारी, सुषमा बरनवाल, नूतन सिन्हा, सीमा कुमारी, सोनी, रूबी, राधा, अनीता, बंटी उर्फ सरिता, पूनम, नेहा, तरुना चौरसिया, ममता बरनवाल, बबीता, दीपमाला, बेबी बरनवाल, मधु, पुष्पा, राधा, शिम्पी, रुक्मणी कुमारी, प्रियंका, भवानी, पम्मी, समता, अर्पण तथा सुमन सहित दर्जनों महिलाएं पूजा में शामिल होने जुटी थी।

क्या कहती हैं महिलाएं
प्रगति श्रीवास्तव- समाज में एक बदलाव लाने के लिए ही शहर की कुछ महिलाओं के साथ मिलकर एक नया परम्परा के तहत सरस्वती पूजा किया गया है। जिसके माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि नारी अब अबला नहीं रहीं। उनके अंदर समाज को बदलने की जज्बा है। इसी सोच के साथ सरस्वती पूजा में सभी काम महिलाओं ने ही किया।

आदिति गोयल- समाजिक सोच को बदलने के लिए हम महिलाओं ने कुछ अलग करने की सोच के साथ केवल महिलाओं की समूह बनाकर पूजा करने की परम्परा शुरू किया गया है। इससे संस्था से जुड़ी सभी महिलाओं में आत्मनिर्भरता का नया जज्बा सृजन हुआ है। यहां पूजा में शामिल होकर हर लोग उत्साहित हैं और परिवार का भी सहयोग मिल रहा है।

राखी बरनवाल- पुरूषों को देखकर लगता था कि हम भी महिलाओं की समूह बनाकर किसी आयोजन को करें, परंतु ऐसा नहीं होता था, समाजिक बंधन हमें परम्पराओं के बंधन में बांधे था। ऐसे में नूतन उदया फाउंडेशन के माध्यम से सरस्वती पूजा में महिलाओं की भागिदारी का जो आयोजन देखने को मिला उससे आत्मनिर्भरता बढ़ गई है।

नूतन सिन्हा- घर में रहकर परिवार चलाने के अलावा कुछ नहीं था, मन में बार-बार खुल कर जीने की लालसा हुआ करता था, लेकिन परम्पराओं के बंधन में कुछ नहीं कर पाते थे। इस संस्थान के माध्यम से सरस्वती पूजा का आयोजन में जो देखने को मिला, उससे काफी आत्मविश्वास जगा है।
रिंकी बरनवाल- परिवारिक दायरे में रहकर महिलाएं अपनी सोच को भी दफन कर दे रही हैं। उनके अंदर की भावना को किसी ने समझने का कभी प्रयास नहीं किया। इस पूजा में आकर हम महिलाओं के बीच एक नई हिम्मत और जागृति मिली है। पति के सहयोग से इस पूजा में बच्चे भी साथ शामिल हो रहे हैं। हर महिलाओं को अपनी जिन्दगी जीने का हक है।
नूतन सिन्हा- जब महिलाओं की ओर से पूजा आयोजन का सूचना मिला तो अपने आप को रोक नहीं पायी और पूजा में शामिल होने ही नहीं बल्कि पूजा करने भी आ गई। इससे एक नई उर्जा मिली है। जिस तरह का आयोजन सरस्वती पूजा में किया गया, ऐसा आयोजन अक्सर करने का हम महिलाओं ने संकल्प लिया है, जिससे दूसरी महिलाओं को प्रेरणा मिले।
