गृहस्थ जीवन में रहने वाली गृहणी पिंकी देवी ने कहा हमने किसी राजनीत या लोकप्रियता के लिए नहीं बांटा कम्बल
अचानक घर से निकलकर महिलाओं की जत्था पहुंच गई नवादा स्टेशन, ठंड में ठिठुर रहे लोगों को ओढ़ाया राहत का कम्बल
Report by Nawada News Xpress
नवादा / सूरज कुमार

कहते हैं स्त्री ममता की रूप होती है, जो स्त्री निःस्वार्थ भाव से सेवा करती है, उसे ममता का स्वरूप कहा जाता है। इन दिनों कड़ाके की ठंड में हर लोग अपने आप को सुरक्षित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में उन गरीब व असहायों के बीच कम्बल दे देता है तो उनके लिए वह भगवान बन जाता है।

यूं तो राजनीत और लोकप्रियता के शिखर पर अपना नाम दर्ज कराने के लिए इन दिनों कई ऐसे लोग हैं, जो ठंड में कम्बल वितरण कर अपनी ख्याति बटोरने में लगे हैं, परंतु यही काम जब कोई निःस्वार्थ भाव से करता है, तो उसकी चर्चा करने वाला तक नहीं होता है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक मामला सामने आया, जिसके बारे में जानकर हर कोई चौंक गया।

जिले के पकरीबरावां प्रखंड स्थित धमौल निवासी पूर्व मुखिया लक्ष्मी नारायण की छोटी बहू पिंकी देवी ने कुछ ऐसा ही कार्य कर गरीब व असहाय लोगों का निःस्वार्थ भाव से सेवा करने का संदेश दिया है। वर्तमान में भीआईपी कॉलनी में अपने ससुर व पति रवि कुमार के साथ रह रही पिंकी एक साधारण सी गृहणी महिला हैं और इनके पति रवि कुमार एक साधारण व्यवसाई हैं।

पिंकी को किसी राजनीत व लोकप्रियता से दूर-दूर तक कोई प्रेरणा नहीं है, लेकिन उन्होंने जब स्टेशन परिसर पर शीतलहर में ठिठुरते गरीब व असहाय लोगों को देखा तो इनके अंदर ममता का भाव जग गया और फिर मंगलवार की देर शाम अपनी कुछ सहेली महिलाओं के साथ 50 नये कम्बल मंगवाकर नवादा स्टेशन पहुंच गई। उस समय उनके साथ कंधा से कंधा मिलाकर उनके पति रवि भी साथ चल रहे थे।

सनसन कर चलती शीतलहर में खुद कांपती हुई उन गरीब असहायों को स्टेशन परिसर पर जमीन में लेटे देखकर वह काफी भावुक हो गई और उनको कम्बल ओढ़ाने लगी। हालात यह हो गया कि 50 कम्बल भी कम पड़ गये, तब उन्होंने बचे कुछ असहाय लोगों को अपने हाथों से रूपये देकर नये कम्बल खरीदने को कहा। यह बात जब लोगों की कानों तक पहुंची तो लोग उस स्त्री की निःस्वार्थ ममता के कायल हो गये।

उन्होंने कहा कि हमें भगवान जितना देता है, उसमें से कुछ हिस्सा इन गरीबों का भी होता है, जिसे हम अपना फर्ज समझकर उनको इस ठंड से राहत पहुंचाने पहुंचे हैं। हमसे जितना बन पड़ा हमने उन असहायों को मदद किया। इसी तरह हर लोगों का फर्ज बनता है कि वह भी निःस्वार्थ भाव से आगे आयें और इस जानलेवा ठंड से ऐसे लोगों को बचाने का काम करें। इस पुनित कार्य में उनके साथ अंजू सिन्हा, अलका तिवारी तथा पूनम कुमारी के अलावा कई घरेलू महिलाएं साथ थी।
